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________________ विषयानुक्रम [127 216 217 218 219 220 14. (202) मायामय मेष लिये प्रद्युम्न को देखकर वसुदेव उसे राजभवन में बुलवाते है 15. (203) मायावी मेष से वसुदेव को मूञ्छित करा कर प्रद्युम्न आगे बढ़ जाता है 16. (204) वह प्रद्युम्न कपिलांग वटुक-द्विज के वेश में सत्यभामा के यहाँ पहुँच कर उससे भोजन माँगता है 17. (205) सत्यभामा एवं कपिलांग वटुक का वार्तालाप, कपिलांग प्रशंसा करता है 18. (206) कपिलांग वटुक-द्विज के उच्चासन पर बैठ जाने से अन्य ब्राह्मण ऋद्ध हो उठते हैं 19. (207) कपिलांग वटुक-द्विज द्वारा यथार्थ ब्राह्मण की परिभाषा 20, (208) कपिलांग वटुक-द्विज के कथन से अन्य सभी ब्राह्मण आपस में कलह करने लगे, सत्यभामा कपिलांग की प्रशंसा करती है 21. (209) कपिलांग वटुक एक वर्ष में खाने योग्य सामग्री निमिष मात्र में ही खाकर सबको आश्चर्यचकित कर देता है 22. (210) भोज्य पदार्थों से तृप्त न होकर कपिलांग-द्विज सत्यभामा की भर्त्सना कर वहीं पर वमन कर देता है 23. (211) मायावी वटुक क्षीण एवं विकृत-काय क्षुल्लक वेष बनाकर रुक्मिणी के निवास-स्थल पर पहुँचता है 223 224 225 बारहवीं सन्धि 228 229 230 231 1. (212) रूपिणी-सौन्दर्य वर्णन 2. (213) व्रतधारी क्षुल्लक रूपिणी से उष्ण पेय पदार्थ की याचना करता है 3. (214) कृष्ण के लिए सुरक्षित दुष्पाच्य विविध-मोदकों को क्षुल्लक खा जाता है; फिर भी उसकी भूख शान्त नहीं होती 4. (215) क्षुल्लक के आते ही प्राकृतिक आश्चर्य होने से रूपिणी को अपने पुत्र विषयक ___मुनिराज की भविष्यवाणी का स्मरण आ जाता है 5. (216) रूपिणी सोचती है कि क्या यह क्षुल्लक ही उसका पुत्र है जो अपना वेश बदल कर - उसकी परीक्षा ले रहा है? 6. (217) रूपिणी क्षुल्लक का परिचय पूछती है 7. (218) रूपिणी क्षुल्लक को अपना परिचय देती है 8. (219) (रूपिणी अपना परिचय देती है-) एक दिन कृष्ण ने रूपिणी को वनदेवी की तरह बैठाकर सत्यभामा को उसके दर्शन करने की प्रेरणा दी 9. (220) रूपिणी क्षुल्लक से कहती है कि भानुकर्ण के विवाह के समय मेरा सिर-मुण्डन होने वाला है 10. (221) शोकातुर रूपिणी को आश्वस्त कर क्षुल्लक उसकी मायामयी प्रतिमूर्ति बनवाता है 233 234 235 235
SR No.090322
Book TitlePajjunnchariu
Original Sutra AuthorSinh Mahakavi
AuthorVidyavati Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages512
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size12 MB
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