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महाकर सिंह विरइउ पशुपाचरित 17. (184) प्रज्ञप्ति विद्या का चमत्कार-कुमार वृद्ध अश्वपाल के रूप में अपने सौतले भाई
196 भानुकर्ण के सम्मुख पहुँचता है 18. (185) अहंकारी भानुकर्ण वृद्ध अश्वपाल (प्रद्युम्न) का तुरंग लेकर उस पर सवार हो जाता है 197 19. (186) भानुकर्ण को वह तुरंग पटक देता है तब वह लज्जित होकर स्वयं उसे उस पर सवार 198
होने की चुनौती देता है 20. (187) अश्वपाल जर्जर देह होने के कारण सेवकों के साथ भानु से घोड़े पर बैठा देने का 199
आग्रह करता है, किन्तु उस दैवी-शरीर को वे उठा नहीं सके 21. (188) अश्वपाल भानुकर्ण को लतया कर घोड़े पर बैठकर आकाश में उड़ जाता है
हा
200
ग्यारहवीं सहित
___ 1. (189) प्रज्ञप्ति-विद्या का चमत्कार-प्रद्युम्न मायामय दो घोड़ों के साथ सत्यभामा के उपवन के 202
समीप पहुँचता है 2. (190) रिश्वत में अँगूटी लेकर वनपाल ने प्रधुम्न के घोड़ों को सत्यभामा का उपवन चरा दिया 203 3 (191) कुमार प्रद्युम्न सत्यभामा का उपवन नष्ट कर, दूसरों के लिए वर्जित उसके माकन्दी वन 204
में पहुँचता है 4. (192) मातंग (प्रद्युम्न) के मायामय वानर ने माकन्द-वन में तोड़-फोड़ मचा दी
205 5. (193) माकन्द-वन को नष्टकर प्रद्युम्न आगे बढ़ता है और मंगल तरुणियों के झुण्ड को
देखता है 8. (194) मंगल तरुणियों की भीड़ तितर-बितर कर वह प्रद्युम्न सत्यभामा की वापी पर पहुँचा 207 (195) अन्ध-बधिर ब्राह्मण के वेश में प्रद्युम्न वापिका के पास एकत्रित तरुणियों से वार्तालाप 209
करता है (196) वह द्विज (प्रद्युम्न) तरुणियों को भिल्लराज द्वारा उदधिकुमारी के अपहरण की सूचना 210
देता है 9. (197) उदधिकुमारी को परिणीता-पत्नी घोषित कर द्विज वेशधारी प्रद्युम्न बलपूर्वक वापी में 211
प्रवेश कर जाता है 10. (198) वह (द्विज) तरुणियों को विरूप बनाकर जल-मार्ग से आगे बढ़ने लगता है 11. (199) सत्यभामा की तरुणियों को कुरूप तथा सुरूप बनाता हुआ वापी का जल शोषित कर 213
वह प्रद्युम्न लीलापूर्वक द्वारावती के बाजार-मार्ग में जा पहुँचता है 12. (200) तरुणियों के पीछा करने पर द्विज (प्रद्युम्न) का कमण्डल गिरकर फूट जाता है और 214
उसके जल से समुद्र का दृश्य उपस्थित हो जाता है। आगे चलकर वह मालियों के यहाँ
पहुँचता है 13. (201) मालियों द्वारा पुष्प न दिये जाने पर वह पुष्पों की सुगन्धि का अपहरण कर बाजार 215
की सभी व्यापारिक सामग्रियों के रूप को बदल देता है