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महाकई सिंह निरइउ पज्जुण्णचरिउ
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19. (102) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म. कथन के प्रसंग में-) राजा मधु रानी कनकप्रभा के पास दूती
भेजता है। सन्ध्या एवं रात्रि वर्णन 20. (103) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) चन्द्रोदय वर्णन 21. (104) (प्रद्युम्न के पूर्व..जन्म-कथन के प्रसंग में ) चन्द्रोदय वर्णन, दूतियाँ रानी कनकप्रभा
को समझाकर राजा मधु के सम्मुख ले आती हैं 22. (105) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा मधु एवं रानी कनकप्रभा की काम...
केलियों का वर्णन 23. (106) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा मधु रानी कनकप्रभा को पट्टरानी का
पद प्रदान करता है। उधर कनकरथ इस समाचार को सुनकर विक्षिप्त हो जाता है
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उमराज
सातवीं सहित 1. (107) (प्रद्युम्न के पूर्वजन्म-कथन के प्रसंग में-) विक्षिप्तावस्था में राजा कनकरथ अयोध्या 115
पहुँच जाता है, जिसे देखकर कंचनप्रभा की धाय रोने लगती है 2 (108) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) अपने प्रियतम कनकरथ की दुःस्थिति रानी 118
कनकप्रभा राजा मधु को सुनाती है 3. (109) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में..) परस्त्री-सेवन के अपराधी को शूली की 117
सजा (सुनाये जाने) से रानी कनकप्रभा राजा मधु पर क्रोधित हो उठती है 4. (110) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा मधु को वैराग्य, उसने मुनिराज
विमलवाहन से दीक्षा माँगी 5. (111) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा मधु एवं रानी कनकप्रभा का दीक्षा- 119
ग्रहण एवं कठिन तपश्चर्या 6. (112) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में.) घोर तपस्या कर मुनिराज मधु अच्युत देव 120
हुए। राजा कैटभ ने एक सरोवर में कमल पुष्प देखा 7. (113) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म.कथन के प्रसंग में-) राजा कैटभ की मुनि-दीक्षा एवं अच्युत 120
स्वर्गगमन B. (114) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा कनकरथ मरकर तापस एवं उसके 121
बाद असुर कुमार देव तथा रानी कंचनप्रभा मरकर विद्याधर पुत्री हुई 9. (115) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा मधु के जीव का कृष्ण-पत्नी रूपिणी 122
के पुत्र रूप में जन्म एवं छठवें दिन असुर द्वारा उसका अपहरण 10. (116) विदेह क्षेत्र में प्रद्युम्न का पूर्व वृत्तान्त एवं वर्तमान उपस्थिति जानकर नारद मेघकूटपुर 123
पहुँचता है 11. (117) नारद ने रूपिणी को बताया कि प्रद्युम्न मेघकूटपुर के विद्याधर राजा कालसंवर के 124
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