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विषयानुक्रम
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छठी सन्धि
1. (84) (प्रद्युम्न के पूर्व जन्म--कथन के प्रसंग में-) शालिग्राम निवासी सोमशर्मा एवं अग्निला 93
के पूर्वभवों का वर्णन 2. (85) मुनिराज द्वारा चाण्डाल एवं श्वानी का पूर्वभव कथन एवं उनकी संन्यास विधि 3. (86) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) श्वानी शुभ-मरण कर अयोध्यापुरी के राजा ।
गजरथ के यहाँ जन्म लेती है। उसके स्वयंवर का वर्णन 4. (37) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजकुमारी का स्वयंवर, जिसमें नन्दीश्वर
देव भी उपस्थित होता है (88) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) नन्दीश्वर देव द्वारा राजकुमारी माला को
प्रतिबोधन एवं स्वयंवर के पूर्व ही उसका दीक्षा ग्रहण 6. (89) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजकुमारी माला को मुनिराज त्रिगुप्ति द्वारा
दीक्षा प्रदत्त 7. (90) त्रिगुप्ति मुनिराज द्वारा मणिभद्र-पूर्णभद्र का पूर्व-जन्म-कथन 8. (91) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा कनकनाथ ने अपने दोनों पुत्रों
(मधु-कैटभ) को राज्य सौंपकर मुनिराज शुभ से दीक्षा ग्रहण कर ली . 9. (92) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) शाकम्भरी नरेश राजा भीम एवं राजा मधु 100
के युद्ध की तैयारियों 10. (93) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा मधु का चतुरंगिणी सेना के साथ
अरिराज भीम के साथ युद्ध हेतु वडपुर पहुँचना 11. (94) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) वडपुर नरेश कनकरथ राजा मधु का स्वागत 102
करता है। उसकी रानी कनकप्रभा पर राजा मधु आसक्त हो जाता है 12. (95) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) मधु राजा अपनी कामावस्था का रहस्य अपने 103
मन्त्री सुमति को कह देता है। 13. (96) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा मधु अरिराज भीम के पास अपना दूत 103
भेजता है 14. (97) (प्रद्युम्न के पूर्व जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा मधु एवं अरिराज का भीषण युद्ध 104 15. (91) (प्रद्युम्न के पूर्व जन्म कथन के प्रसंग में-) युवराज कैटभ एवं अरिराज भीम का युद्ध 105 16. (99) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) अरिराज भीम को पराजित कर राजा मधु 106
वापिस घर लौटा | वसन्त ऋतु का आगमन 17. (100)(प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में.) ऋतुराज वसन्त का वर्णन। विरह-व्याकुल 108
राजा मधु केवल कनकप्रभा के चिन्तन में रत था 18. (101) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म..कथन के प्रसंग में--) राजा मधु के आदेश से कनकरथ अपनी 109
युवती सुन्दरी रानी कनकप्रभा को उसी के यहाँ छोड़ देता है