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________________ विषयानुक्रम [121 छठी सन्धि 1. (84) (प्रद्युम्न के पूर्व जन्म--कथन के प्रसंग में-) शालिग्राम निवासी सोमशर्मा एवं अग्निला 93 के पूर्वभवों का वर्णन 2. (85) मुनिराज द्वारा चाण्डाल एवं श्वानी का पूर्वभव कथन एवं उनकी संन्यास विधि 3. (86) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) श्वानी शुभ-मरण कर अयोध्यापुरी के राजा । गजरथ के यहाँ जन्म लेती है। उसके स्वयंवर का वर्णन 4. (37) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजकुमारी का स्वयंवर, जिसमें नन्दीश्वर देव भी उपस्थित होता है (88) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) नन्दीश्वर देव द्वारा राजकुमारी माला को प्रतिबोधन एवं स्वयंवर के पूर्व ही उसका दीक्षा ग्रहण 6. (89) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजकुमारी माला को मुनिराज त्रिगुप्ति द्वारा दीक्षा प्रदत्त 7. (90) त्रिगुप्ति मुनिराज द्वारा मणिभद्र-पूर्णभद्र का पूर्व-जन्म-कथन 8. (91) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा कनकनाथ ने अपने दोनों पुत्रों (मधु-कैटभ) को राज्य सौंपकर मुनिराज शुभ से दीक्षा ग्रहण कर ली . 9. (92) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) शाकम्भरी नरेश राजा भीम एवं राजा मधु 100 के युद्ध की तैयारियों 10. (93) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा मधु का चतुरंगिणी सेना के साथ अरिराज भीम के साथ युद्ध हेतु वडपुर पहुँचना 11. (94) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) वडपुर नरेश कनकरथ राजा मधु का स्वागत 102 करता है। उसकी रानी कनकप्रभा पर राजा मधु आसक्त हो जाता है 12. (95) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) मधु राजा अपनी कामावस्था का रहस्य अपने 103 मन्त्री सुमति को कह देता है। 13. (96) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा मधु अरिराज भीम के पास अपना दूत 103 भेजता है 14. (97) (प्रद्युम्न के पूर्व जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा मधु एवं अरिराज का भीषण युद्ध 104 15. (91) (प्रद्युम्न के पूर्व जन्म कथन के प्रसंग में-) युवराज कैटभ एवं अरिराज भीम का युद्ध 105 16. (99) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) अरिराज भीम को पराजित कर राजा मधु 106 वापिस घर लौटा | वसन्त ऋतु का आगमन 17. (100)(प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में.) ऋतुराज वसन्त का वर्णन। विरह-व्याकुल 108 राजा मधु केवल कनकप्रभा के चिन्तन में रत था 18. (101) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म..कथन के प्रसंग में--) राजा मधु के आदेश से कनकरथ अपनी 109 युवती सुन्दरी रानी कनकप्रभा को उसी के यहाँ छोड़ देता है
SR No.090322
Book TitlePajjunnchariu
Original Sutra AuthorSinh Mahakavi
AuthorVidyavati Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages512
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size12 MB
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