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कति ::. जुन्। चर्चा : 16. (66) (प्रद्युम्न के पूर्वभव के अन्तर्गत) अग्निभूति वायुभूति के पूर्व जन्म शालिग्राम के प्रवर
द्विज का वर्णन 17. (67) (प्रद्युम्न पूर्व जन्म कथन प्रसंग में-) प्रवर विप्र ने शृगाल-बच्चों के शवों को अपने
दरवाजे पर लटका दिया
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पांचवी सहित
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1. (68) (प्रद्युम्न के पूर्व जन्म के प्रसंग में-) प्रवर विन मरकर अपनी पुत्र. वधु की कोख से
जन्म लेता है 2. (69) (प्रद्युम्न के जन्मान्तर कथन के प्रसंग में-) मूक विप्र पुत्र (प्रवर विप्र के जोव) को
धर्मोपदेश 3. (70) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) अग्निभूति वायुभूति द्वादश-व्रत ग्रहण कर
अपने पिता सोमशर्मा को कहते हैं कि श्रमण मुनि को विवाद में जीतना कठिन है 4. (71) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) दोनों विप्र-पुत्र मुनि संघ की हत्या के
लिए प्रस्थान करते हैं 5. (72) (प्रद्युम्न के पूर्वजन्म-कथन के प्रसंग में-) गुप्त यक्षदेव भनि-हत्या के लिए प्रयत्नशील
अग्निभूति-वायुभूति को कीलित कर देता है 6. (73) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में..) कीलित विप्र-पुत्रों का वर्णन 7. (74) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) मुनिराज के आग्रह से यक्षराज विप्र-पुत्रों
को क्षमा कर देता है 8. (75) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) मुनिराज के समीप द्विजपुत्रों ने व्रतभार
ग्रहण किया 9. (16) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) सोमशर्मा की रत्नप्रभा में उत्पत्ति 10. (77) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म कथन के प्रसंग में-) दोनों सौधर्म देव (दोनों विप्र-पुत्र के जीव)
अयोध्या की सेठानी धारणी के पुत्र रूप में उत्पन्न हुए 11. (78) (प्रद्युम्न के पूर्व जन्म-कथन के प्रसंग में-) अयोध्यापुरी में मुनीश्वर महेन्द्रसूरि का
आगमन 12. (79) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में-) राजा अरिंजय मुनिराज महेन्द्रसूरि के
दर्शनार्थ नन्दनवन में जाता है 13. (80) (प्रद्युम्न के पूर्व-जन्म-कथन के प्रसंग में.) राजा अरिंजय एवं उनके प्रजाजनों को
मुनिराज महेन्द्रसूरि का धर्मोपदेश 14. (81) उपदेश श्रवण कर राजा का दीक्षा ग्रहण 15. (82) सेठ-सेठानी तथा उनके दोनों पुत्रों (मणिभद्र एवं पूर्णभद्र) ने भी व्रत ग्रहण किये 16. (83) मणिभद्र एवं पूर्णभद्र के जन्मान्तरों का नवागत मुनि द्वारा वर्णन