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________________ विषयानुक्रम 10. (46) रूपिणी एवं सत्यभामा के द्वारा एक समान चार-चार स्वप्नों का दर्शन एवं उनका फल वर्णन 11. (47) रूपिणी एवं सत्यभामा के गर्भ-काल का वर्णन 12. (48) संयोग से रूपिणी एवं सत्यभामा दोनों को ही पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है किन्तु विष्णु को रूपिणी के पुत्र प्राप्ति की सूचना सर्वप्रथम मिलता है 13. (49) पुत्र-जन्म एवं नाम-संस्कारोत्सव । 14. (50) रूपिणी-पुत्र प्रद्युम्न का धूमकेतु नामक दानव द्वारा अपहरण चौधती सहित 55 1. (51) धूमकेतु दानव ने उस शिशु प्रद्युम्न को तक्षकगिरि की एक विशाल शिला के नीचे चाँप दिया 2. (52) राजा कालसंवर का नभोयान तक्षकगिरि के ऊपर अटक जाता है 3. (53) पट्टरानी कंचनमाला पुत्रविहीन थी, अत: राजा कालसंवर उसे पुत्र के रूप में उस बालक को दे देता है तथा उसी दिन उसे राज्याधिकारी भी घोषित कर देता है 4. (54) कालसंवर के यहाँ शिशु (प्रद्युम्न) का उचित लालन-पालन होने लगा और इधर उसकी माता रूपिणी उसकी खोज करने लगी 5. (55) पुत्र के अपहरण पर माता रूपिणी का विलाप 6. (56) रूपिणी एवं हरि की शोकावस्था का वर्णन। सभी राजा पुत्र की खोज में निकल पड़ते है 7. (57) नारद का आगमन। रूपिणी उससे पूछती है कि हमारे पुत्र का अपहरण किससे . करा दिया है? 8. (58) सास एवं ननद की झिड़कियाँ सुनकर रूपिणी का दुःख दुगुना हो गया 9. (59) नारद आकाश-मार्ग से प्रद्युम्न की खोज में निकलते है 10. (60) नारद पूर्व-विदेह जाते समय मार्ग में पुष्कलावती देश की पुण्डरीकणी नगरी को देखते हैं 11. (61) पूर्व विदेह क्षेत्र स्थित सीमंधर स्वामी के समवशरण में पहुँच कर नारद उनकी स्तुति करते हैं 12. (62) नारद का सूक्ष्म शरीर अपनी हथेली पर रखकर चक्रेश्वर-पद्म जिनवर से पूछता है कि यह प्राणी कहाँ से आ गया है? 13. (63) जिनवर ने बताया कि शिशु प्रद्युम्न का, पूर्वजन्म के बैरी धूमकेतु दानव ने अपहरण कर उसे तक्षकगिरि की शिला के नीचे चाँप दिया है। 14. (64) प्रद्युम्न का पूर्व-जन्म (1) मगध स्थित शालिग्राम निवासी सोमशर्म भट्ट का परिचय 15. (65) प्रद्युम्न का पूर्व-जन्म कथन (2) मुनिराज सात्यकि एवं द्विजवरों का विवाद
SR No.090322
Book TitlePajjunnchariu
Original Sutra AuthorSinh Mahakavi
AuthorVidyavati Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages512
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size12 MB
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