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महाका सिंह घिर पशुण्णचरिउ
7. (23) राजा भीष्म नारद का स्वागत कर उसे अन्तःपुर ले जाता है जहाँ राजकुमारी
रूपिणी के सौन्दर्य से प्रभावित होकर वह उसे मधुमथन की प्रियतमा बनने का
आशीर्वाद देता है B. (24) नारद रूपिणी को हरि-कृष्ण का परिचय देता है 9. (25) नारद उस रूपिणी की प्रतिच्छवि तैयार कराता है। रूपिणी का नख-शिख वर्णन 10. (26) नारद ने रूपिणी का चित्रपट द्वारावती के राजा पद्मनाभ नारायण (कृष्ण) को
समर्पित कर दिया ११, (27) रूपिणी के सौन्दर्य से काम-पीड़ित होकर नारायण कृष्ण नारद से उसका परिचय
पूछते हैं 12. (28) चेदिषति के साथ रूपिणी के विवाह की तैयारी की नारद द्वारा नारायण को सूचना 13. (29) जनार्दन सदल-बल कुण्डिनपुर पहुंचते हैं। नारद रूपिणी की फूफी को चुपचाप
संकेत कर देता है 14. (30) फूफी (सुरसुन्दरी) के आदेश से रूपिणी नगर के बाहरी उद्यान में कामदेव की
__ पूजा हेतु आती है 15. (31) जनार्दन रूपिणी को उठाकर रथ में बैठा लेते हैं और पाँचजन्य शंख फूंक देते हैं।
युद्ध की तैयारी 16. (32) युद्ध की तैयारी : रूपिणी जनार्दन की परीक्षा लेती है 17. (33) शिशुपाल एवं रूपकुमार (रूपिणी का भाई) हरि-बलदेव से भिड़ जाते हैं 18. (34) शिशुपाल एवं हरि-हलधर का बाण युद्ध .19. (35) तुमुल-युद्ध : मधुमथन शिशुपाल पर रथांग चक्र छोड़ता है 20. (36) शिशुपाल-वध एवं हरि का रूपिणी के साथ द्वारावती वापिस लौटना
तीसरी सहित 1. (37) सौराष्ट्र के मार्गवर्ती एक लतागृह में विष्णु ने रूपिणी से अग्नि की साक्षी पूर्वक
पाणिग्रहण कर लिया 2. (38) हरि-नारायण का द्वारामती में प्रवेश। नगर की विड्वल युवतियों का वर्णन 3. (39) हरि एवं रूपिणी का द्वारामती के नागरिक जनों द्वारा अभिनन्दन 4. (40) वसन्त ऋतु का आगमन
(41) सत्यभामा की विरहावस्था सुनकर हरि उसके आवास पर पहुँचते हैं
(42) रूपिणी के उगाल का लेप कर लेने से हरि सत्यभामा की हँसी उड़ाते हैं 7. (43) सत्यभामा उपवन में रूपिणी से मिलने जाती है 8. (44) शुभ्र वेशधारिणी रूपिणी को भ्रम से वनदेवी मानकर सत्यभामा उससे मनौती माँगती है 46 9. (45) रूपिणी सत्यभामा की प्रतिज्ञा स्वीकार करती है कि उन दोनों में से जिसे सर्वप्रथम 47
पुत्र उत्पन्न होगा. वह दूसरी का सिर मुंडवा देगी