________________
1117
विषयानुक्रम (मूल एवं हिन्दी अनुवाद) [ सन्धि एवं कडवकों के अनुक्रम से)
पहली सन्धि
कडवक सं०
मूल/हिन्दी अनुवाद पृ०सं० 1. (1) ऊर्जयन्तगिरि से सिद्धि को प्राप्त नेमि-जिनेश्वर की स्तुति 2. (2) कवि को श्वेतवसना सरस्वती ने स्वप्न दर्शन दिया 3. (3) सरस्वती कवि को स्वप्न में काव्य-रचना की प्रेरणा देती है 4. (4) कवि अपने गुरु अमृतचन्द्र एवं समकालीन राजा बल्लाल तथा मण्डलपति भुल्लण
का परिचय देता है 5. (5) गुरु-स्तुति तथा दुर्जन. सज्जन वर्णन 6. (6) कवि अपना संक्षिप्त परिचय देकर प्रद्युम्न-चरित काव्यारम्भ के प्रसंग में राजगृह एवं
अन्य भारतीय भूगोल का वर्णन करता है 7. (7) सोरट (सौराष्ट्र) देश का वर्णन 8. ) सोरट (सौशाद दे की विशेषता 9. (७) सोरठ देश की सुरम्यता और द्वारावती नगरी का वर्णन 10. (10) द्वारावती नगरी का वर्णन 11. (11) समुद्र का वर्णन 12. (12) द्वारावती (द्वारिका) के राजा मधुमथन- कृष्ण का वर्णन 13. (13) राजा जनार्दन – कृष्ण का वर्णन 14. (14) नारद का कृष्ण की सभा में आगमन 15. (15) कृष्ण, बलदेव एवं नारद का वार्तालाप 16. (16) नारद के सहसा आगमन पर रूपगर्विता सत्यभामा लज्जित हो जाती है
दूसरी सन्धि 1. (17) रूपगर्विता सत्यभामा के प्रति भारद का क्रोध 2. (18) आकाश मार्ग से जाते हुए नारद, पृथिवी-मण्डल के प्राणियों की क्रीड़ाएँ देखते
हुए विद्याधर श्रेणी में पहुँच कर वहाँ के निवासियों की नागरी-वाणी सुनते हैं 3. (19) विद्याधर श्रेणी का वर्णन 4. (20) सत्यभामा से भी अधिक सुन्दरी कन्या की खोज में नारद की विद्याधर नगरियों
की वेगगामी यात्राएँ 5. (21) विद्याधर-प्रदेश की परिक्रमा कर नारद कुण्डिनपुर में पहुँचता है 6. (22) कुण्डिनपुर के राजा भीष्म ने नारद को अपने नगर में प्रवेश करते हुए देखा