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सामाजिक अवस्था : ८३
लोग एक-दूसरे का धन उधार ले लेते थे। इस प्रकार के लेनदेन के लिए व्यवहार पाम्द आया है । कर्मभूमि के प्रारम्भ में प्रजा इस प्रकार के व्यवहार से रहित
थी।५१०
कृषि-पद्मपरित में खेत के लिए क्षेत्र ५१" शब्द का प्रयोग किया गया है। खेत दो प्रकार के थे--उपजाऊ तथा अनुपजाऊ । अनुपजाऊ क्षेत्र या खेत के लिए खिल५१२ (खल) तथा उपजाऊ खेत के लिए वर्षग५१३ (क्षेत्र) कहा जाता था। उस समय स्खेती हलों१४ (लांगल) से होती थी। जिस व्यक्ति के पहां जितने अधिक हल चलाये जाते थे वह व्यक्ति उतना अधिक समृद्ध माना जाता था । भरत चक्रवर्ती के यहाँ एक करोड़ हल । ५१५ राम, लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुध्न के यहाँ पचास लाख थे । १६ खेती करने वाले को कर्षक कहते थे।५१० हलबाहक को कीनाश कहते थे।५१८ खेतों में पृण्ड (पाँडा)५१९ तथा इक्षु५२० (ईन) के अतिरिक्त, अनेक धान्यों"३१ को बोया जाता था। शाक तथा कन्दमूल की खेती भी होती थी । ५२२ फलों के लिए नालिकेर५२॥ (नारियल), दाहिमी५२४ (अनार), द्राक्षा २५ (दाख), पिण्डखजूर ५२६ मआदि के वृक्ष लगाये जाते थे। बिना जोते-बोए उत्पन्न हुए धान को अकृष्टपच्यसस्य५२७ कहते थे। कर्मभूमि के प्रारम्भ में भरत क्षेत्र की भूमि अकृष्टपच्यसस्य से युक्त
यो ।२८
सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था थी। कग से घटीयन्त्र (अरहट या रहट) के द्वारा सिंचाई होती थी । २५ पद्मचरित में अनेक तालाब५३० तथा नदियों का उल्लेख है । अतः इनसे भी सिंचाई की जाती होगी। अनाज पककर काटने के
५१०. पत्र० ३।३३२ । ५१२. वही, ३७०। ५१४, वही, २३ । ५१६. वही, ८३।१५ । ५१८. वही, ३४।६० । ५२०. वही, रा४। ५२२. बही, २।१५ । ५२४. वहीं, ।१६। ५२६. वही, २०१९ । ५२८. वही, ३२३१ । ५३०. वही, २०२३, २०१००।
५११. पप० २।३ । ५१३. वहीं, २७ । ५१५. वही, ४।६३ । ५१७. वहो, ६।२०८ ॥ ५१९. वहीं, २४॥ ५२१. वही, २५-२। ५२३. वही, २०१५ ५२५. वहीं, २०१८ : ५२७. वहो, ३।२३१ ।
५२९. वही, २।६, ९८२ ।