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________________ ५८ : पपचरित और उसमें प्रतिपादित संस्कृति है), श्वपथु (जिसमें शरीर पर सूजन आ जाती है), स्फोटक (जिसमें शरीर पर फोड़े निकल आते हैं) तथा वायु रोग । २५४ कामशास्त्र-पद्यचरित के १५वे पर्व में दस काम वेगों को आधार मानकर अंजना की प्राप्ति के लिए पवनंजय की दशा का वर्णन है । चिन्ता, आकृति देखने की इच्छा, मन्द लाम्बी और गरम साँसे निकलना, ज्वर, बेचैनी, अरति (विषयद्वेष), विप्रलाप (बकवाद), उन्मत्तता, मूछी तथा दुःखसंभार (दुःख का भार) इस प्रकार काम की दस अवस्थायें२५५ यहां गिनाई गई है। बाण ने दस कामदशानों को आधार मानकर माहाको नय: का कत्र या है । " एक अन्य स्थान पर चक्षुःप्रीति, मनःसंग, संकल्प, रात्रिजागरण, कुशता, अरति (विषयीष), लग्ना, त्याग, उम्माद, मूळ तया मरण ये बस कामदशायें निरूपित की गई है ।२५७ जहाँ तक स्त्री पुरुष के प्रेम का सम्बन्ध है रविषेण ने प्रेम की उत्पत्ति पाँच कारणों से कहीं है। पहले स्त्री पुरुष का ससर्ग अर्थात् मेल होता है फिर प्रीति उत्पन्न होती है, प्रीति से रसि उत्पन्न होती है, रति से विश्वास उत्पन्न होता है और तदनन्तर विश्वास से प्रणय उत्पन्न होता है। २५८ ___ संस्कृत, प्राकृत, शौरसेनी आदि भाषायें--२४वे पर्व में राजकुमारी केकया के संगीत ज्ञान के प्रसंग में प्रातिपदिक, उपसर्ग और निपातों में संस्कार को प्राप्त प्राकृत, संस्कृत और शौरसेनी भाषाओं की स्थिति का संकेत किया गया है ।२५५ संगीत विद्या-पयचरित में संगीत विद्या सम्बन्धी अनेक पारिभाषिक शब्द आये है। इसका विशेष विवरण कला वाले अध्याय में दिया गया है। नृत्य विद्या---पपरित से नृत्यविद्या की स्थिति पर जो प्रकाश पड़ता है उसका विशेष निरुपण कला पाले अध्याय में किया गया है । काव्यशास्त्र-पप्रचरित में श्रृंगार, हास्य, करुण, वीर, अद्भुत, भयानक, रौद्र, वीभत्स और शान्त ये ९ रस कहे गये है । लक्षण, अलंकार, २५४, पत्र. ३७४१ । २५५. पम १५४९६.१००। २५६. वासुदेव शरण अग्रवाल : कादम्बरी : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ० २३५ । २५७. मल्लिनाथ : मेघदूतटीका, २।३१ (कादम्बरी : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ० २३५) २५८. पद्म० २६८ । २५९. पप० २४।१२। २६०. वही, २४॥२२, २३ ।
SR No.090316
Book TitlePadmcharita me Pratipadit Bharatiya Sanskriti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages339
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mythology, & Culture
File Size6 MB
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