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५२ : पद्मचरित और उसमें प्रतिपादित संस्कृति
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द्योतक समझा जाता है, शकुन कहते हैं । अथवा भावी शुभ या अशुभ फल की द्योतक किसी घटना, अद्भुत दृश्य या संयोग को शकुम कहते हैं । १८२ सूचक संकेत एवं भाषी घटना में कार्यकारण नहीं होता। शकुन वस्तुतः ऐसा संकेत है जो कारणान्तर से उत्पन्न होने वाले कार्य की सूचना मात्र देता है, स्वयं उम्र भावी घटना का कारण नहीं होता । १८ वराहमिहिर के अनुसार शकुन जम्मान्तर में कृत कर्म के भावी फल की सूचना देता है ।' १८४ पद्मचरित में प्राप्त
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शकुनों को हम निम्नलिखित भागों में विभाजित कर सकते हैंसूचक वर्ष क्रियाओं से प्राप्त शकुन !
प्राणियों के
प्राकृतिक तत्त्वों से प्राप्त शकुन । शारीरिक लक्षणों से प्राप्त शकुन ।
स्वप्नों से प्राप्त शकुन | ग्रहोपग्रहों से प्राप्त शकुन ।
प्राणियों के शुभाशुभसूचक दर्शन एवं क्रियाओं से प्राप्त शकुन-समीप हो ममूर का मनोहर शब्द करना, उत्तमोतम अलंकारों से युक्त स्त्री का सामने खड़ा होना, १६५ निर्ग्रन्य मुनिराज का सामने से आना, घोड़ों को गम्भीर हिमहिनाहट होना, १८ वायों ओर नवीन गोबर को बिखेरते हुए तथा पंखों को फैलाते हुए काक का मधुर शब्द करना, सिद्धि हो, जय हो, समृद्धिमान हो तथा बिना विघ्न बाधा के शीघ्र प्रस्थान करो इत्यादि मंगल शब्द होना, १८८ ये लक्षण शुभ माने गये हैं ।
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१८१. 'A casual event of occurance supposed to protend good or evil'
The century dictionary vol. V. P. 4105 १८२. An occurrance phenomenon or incident regarded as an indication of a favourable or unfavourable issue
Funk & wagnall's new stand and dictionary of the English language vol. III P, 1722,
१८३. संस्कृत काव्य में शकुन, १०३ । १८४, अस्य जन्मान्तरकृतं कर्म पुंसां शुभाशुभम् । यत् तस्य शकुनः पार्क निवेदयति गच्छताम् ॥ - वराहमिहिर
१८५. पद्म० ५४५० १८७. वहीं, ५४ ५३ ।
बृहत्संहिता १० ५००, अध्याय ८६।५ 1 १८६. ० ५४।५१ ।
१८८. वही, ५४|५३ ।