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२९२ : पद्म चरित और उसमें प्रतिपादित संस्कृति होता है । संयोग से लक्ष्मण वहां पहुंचकर उसे देखते हैं तथा उसे हाथ में लेकर बांस को काटते समय शम्बूक का सिर भी काट लेते हैं। चन्द्रनरला अपने पुत्र से मिलने आती है तथा उसे मृत देखकर विलाप करते-करते वन में घूमने लगती हैं । अन्त में वह राम लक्ष्मण के पास पहुँचकर उन पर आसक्त हो जाती है। दोनों के अस्वीकार करने पर वह अपने पति स्वरदूषण तथा अपने भाई रावण को शम्बूक वष की सूचना देती है। इस प्रकार लक्ष्मण द्वारा शम्बूक या सीता हरण तथा राम रावण युद्ध का कारण बन जाता है।"
मधुकर तान्त प्राधिक पारित : सत्य अनेक राजथाओं में पाया जाता है। उदाहरणार्थ-सानन्दरामायण, तेलगू तिपद रामायण, कन्नड़ी तौरखें रामायण, जावा का सेरत काण्ड, मलय का सेरीराम, श्याम की रामकाति १३७
युद्ध से पूर्व राक्षस-राक्षसियों के संभोग श्रृंगार का वर्णन ।
राम सेना से लवकुश का युद्ध-वाल्मीकि रामायण में राम के अश्वमेध की पज्ञ भूमि में कुछ और लय रामायण का गान करते है और इस तरह राम अपने पुत्रों का परिचय प्राम करते हैं । ४० बहुत सी परवर्ती रामकथाओं में कुश और लव का राम सेना तथा राम से भी युद्ध का वर्णन किया गया है । उस युद्ध के भिन्न-भिन्न कारण बतलाए जाते हैं, किन्तु सबमे प्रचलित कारण यह है कि कुश लव ने राम के अश्वमेघ का घोडा बाँध लिया था। कुश लव का युद्ध वर्णन कथासरित्सार, उत्तररामचरित, जैमिनीय अश्वमेध, पद्मपुराण का पाताल खण्ड, रामलिंगामृत का कृत्तिवास रामायण, रामचन्द्रिका, गुजराती रामायणसार, काश्मीरी रामायण, कम्बोडिया की रामकीति तथा श्याम की रामकीति आदि में मिलता है।" विमलमूरि प्राचीनतम रचना है, जिसमें सौता के पुत्रों के युद्ध का वर्णन है । पधचरित में भी यह वर्णन इसी रूप में मिलता है। इसके अनुसार लवण (मनगलवण) और अंकुश (मदनाङकुश) अपनी माता के साथ पुण्डरीकपुर के राजा ब घ के यहाँ रहते हैं। उनके विवाह के बाद नारद उनके पास जाकर उन्हें उनकी माता के परित्याग की कथा सुनाते हैं। इस पर दोनों सेना लेकर अयोध्या पर आक्रमण करते है । अन्त में लवण राम
३६. पय पर्व ४३,४४, सन्मति सन्देश पृ० १३ वर्ष १५ अंक ३। ३७. सन्मति सन्देश, पृ. १३ वर्ष १५ अंक ३ । ३८. पपा पर्व ७३ ३९. वही. पर्व १०२-१०३ । ४०. सन्मति सन्देश, पृ० १३, वर्ष १५ अफ ३ । ४१. वही, पृ० १३ ।