________________
राजनैतिक जीवन : २०३
आदि के द्वारा विधिपूर्वक यज्ञ करते है। निन्य मुनि क्षाम्ति आदि गुणों से युक्त होकर ध्यान में तत्पर रहते है तथा मोक्ष का माधमभूस उत्तम तप तपते है ।१३ जिनमन्दिर आदि स्थलों में जिनेन्द्र भगवान् की बड़ी बड़ो पूजार्थे तथा अभिषेक होते हैं । ४ पृथ्वी तल पर जो कुछ भी सुन्दर, थेट और सुखदायक वस्तु है, राजा ही उसके योग्य है ।१५ इस प्रकार राजा का महत्त्व दर्शामा गया है।
राजा के गुण-राजा को शूरवीर होना चाहिये। शूरवोरता के द्वारा वह समस्त लोगों की रक्षा करता है। इसके अतिरिक्त राजा को नीति में कार्य करना चाहिए ।" जो राजा अहंकार से ग्रस्त नहीं होता." शस्त्रविषयक व्यायाम से विमुख नहीं होता, आपत्ति के समय कभी व्यग्र नहीं होता, जो मनुष्य उसके समक्ष नन्नीभूत होते है उनका सम्मान करता है." दोषरहित सानों को ही रत्न समझता है,१५ जिसमें दान दिया जाता है ऐसी क्रियाओं को कार्यसिद्धि का श्रेष्ठ साधन समझता है, समुद्र के समान गम्भीर होता है तथा परमार्थ को जानता है, २२ ऐसा राजा श्रेष्ठ माना गया है। राजा को जिनशासन (पमं) रहस्य को जानने वाला, दारणागत वत्सल, परोपकार में सत्पर, दया से आम्रचिप्स,५३ विद्याम्', विशुद्ध हृदय वाला, निन्द्य कार्यों से निवृत्तबुद्धि, पिता के समान रक्षक, प्रागिहित में तस्पर, दीन-हीन आदि का तथा विशेषकर मातजाति का रक्षक, शुद्ध कार्य करने बाला, शत्रओं को नष्ट करने वाला,२५ शस्त्र और शास्त्र का अभ्यासी, शान्ति कार्य में पकावट से रहित, परस्त्री को अजगर सहित कूप के समान जानने वाला, संसारपात के भय से धर्म में सदा मासक्त, सस्यवादी और अच्छी तरह से इन्द्रियों को वश में करने वाला होना चाहिये । जो राजा अतिदाय बलिष्ठ सथा शूरवीरों की चेष्टा को धारण करने वाले होते है दे कभी भी भयभीत, ब्राह्मण, मुनि, निहत्थे, स्त्री, बालक, पशु और दूत पर प्रहार
१२. पप० २७१२० । १४. बहो, २७२२ । १६. वहीं, २१५३। १८. बहो, २०५४। २०. वही, २०५६ । २२. वही, ३७४९ । २४. वहीं, ९८०२१ । २६. वही, ९८२३ ।
१३. पम० २७।२१ । १५. वही, ७४।१२। १७, बही, २०५३ । १९. वही, रा५५ । २१. वही, ३७।४९। २३. वही, ९८४२० । २५. वही, ९२।२२ । २७. बही, ९८०२४ ।