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मनोरंजन : १३७ वह कृत्रिम मयूरपत्र दे दो।१७९ पनचरित के चोचीसवें पर्व में पाय, उपचय
और संक्रम के भेद से पुस्तकर्म के तीन भेद बतलाए गए हैं। इन सब उस्लेखों से यह निष्कर्ष निकलता है कि बालकों के मनोरंजन के लिए अनेक प्रकार के खिलौने बनाने की कला का विकास उस समय तक अच्छी तरह हो गया था।
१७९. पा. ४८१९४७-१४८ ॥