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अध्याय ५ राजनैतिक जीवन
२०१-२३२ राज्य की उत्पत्ति २०१, राजा का महत्त्व २०२, राजा के गुण २०३, दुराचारी राजा और उसके दुपए २.४. राज्य के मंग २०, मा. २०४, जनपद २०६, नगर २०७, नगर निवासी २०८, पत्तन २०८, प्राम २०९, संवाह २०९, मटम्ब २०९, पुटभेदन, २१०, घोष २१०, प्रोणमुख २१०, मेट २१०, कर्षट २११, दुर्ग २११, कोश २११, सेना २१२, सेना के भेष-पत्ति, सेना, सेनामुख, गुल्म, बाहिनी, पृतना, पम्, अनीकिनी तथा अक्षौहिणी २१२२१३, हस्तिसेना २१३, अश्वसेना २१३, रयसेमा २१४, पदातिसेना २१४, विद्याधर सेना २१४, शिविकासेना २१५, अस्त्र-शस्त्र' २१५, मित्र २१८, राणा का निर्वाचन २१९, राज्याभिषेक २१९, प्रजापालन २२०, गुप्तचर तथा दूत एयवस्था २२१, सामन्त २२२, लेम्बवाह २२३, लेखक २२३, पुस और उसके कारण २२३, गुण सिद्धान्त २२४, सन्धि, विग्रह, आसन, यान, संश्रय तया द्वैधीभाव २२५, युद्ध की प्रारम्भिक स्थिति २२५, वाद्यों का प्रयोग २२६, युद्ध को विधि २२७, सैनिक उत्साह २२८, युद्ध वर्णन २३०, सैनिकों का विश्राम २३१, युद्ध का फल २३२ ।
अध्याय ६ धर्म-दर्शन
२३३-३०२ धर्म का लक्षण २३२, धर्म का माहात्म्य २३२, उत्कृष्ट धर्म २३४, धर्म के भेद-सागार धर्म, अन्नमारधर्म २३४, गृहस्थ धर्म-पांच अपव्रत-स्थल हिंसा का त्याग, स्थूल असत्य का त्याग, स्थूल परमब्यापहरण का त्याग, परस्त्री का त्याग तथा अनन्त तृष्णा का त्याग २३४-२३६, चार शिक्षावत-सामायिक, प्रोषम्रोण्यास, अतिथि विभाग तथा सल्लेखना २२६, तीन गुणवत २३७, प्रत और उसकी भावनायें-अहिंसावत की भावनायें, सत्पात की भावनायें, अचौर्यप्रत की भावनायें, ब्रह्मचर्यव्रत की भावनायें तथा परिग्रह त्यागवत की भावनायें २३७-२३९, नियम २३९, अनगार धर्म (मुनिधर्म) २४०, पांच महावत २४२, पांच समिति २४२, गुप्ति २४३, परिषह जय २४३, अट्ठाईस मूल गुग २४३, साप्त भय २४३, आठ मदों का त्याग २४३, पारिष सामायिक छेदोपस्थापना, परिहार विशुद्धि, सूक्ष्म सापराम तथा यथाख्यात-२४४, धर्म २४४, अनुप्रेजा २४५, मोक्ष प्राप्ति का उपाय—सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान तथा सम्यक् पारित्र २४५, सम्यग्दर्शन की महिमा २४६, जिनपूजा २४७, जिमपूजा की विधियाँ २४८, दान २४९, चार प्रकार के छान २४९, पात्र और उसके गुण २४९, प्रशंसनीय दान २४९, निन्दनीय दान २५०, दान का फल २५१, तोपरत्व