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________________ पृष्ठ । १०३ विषय ३३. वीतरागकथामें अधिक अवयवोंके बोले जानेके औचित्यका समर्थन ८२ १६४ ३४. बौद्धोंके रूप्य हेतुका निराकरण ८३ १६४ ३५. नैयायिकसम्मत पाँचरूप्य हेतुका कथन और उसका निराकरण ३६. अन्यथानुपपत्तिको ही हेतु-लक्षण होने की सिद्धि ६४ २०४ ३७. हेतुके भेदों और उपभेदों का कथन ६५ २०५ ३८. हेत्वाभासका लक्षण और उनके भेद ३६. उदाहरणका निरूपण ४०, उदाहरणके प्रसङ्गमे उदाहरणाभासका कथन ४१. उपनय, निगमन और उपनयाभास तथा निगमनाभासके लक्षण ४२. मागम प्रमाणका लक्षण २१२ २१७ ४३. प्राप्तका लक्षण ११३ २१८ ४४. अर्थका लक्षण और उसका विशेष कथन ११६ २२० ४५. सत्त्वके दो भेद और दोनों में अनेकान्तास्मकताका कथन १२२ २२३ ४६. नयका लक्षण, उसके भेद और सप्तमङ्गी का प्रतिपादन १२५ २२५ ४७. नन्थकार का अन्तिम निवेदन १३२ २३०
SR No.090311
Book TitleNyayadipika
Original Sutra AuthorDharmbhushan Yati
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size5 MB
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