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विषय १६. प्रसङ्गवश शङ्का-समाधानपूर्वक सर्वज्ञको
सिद्धि १७. सामान्य से सर्वज्ञको सिद्ध करके अहंन्तमें
सर्वज्ञताकी सिद्धि ३. तृतीय-प्रकाश १८. परोक्ष प्रमाणका लक्षण १६. परोक्ष प्रमाणके भेद और उनमें झानान्तर
की सापेक्षता का कथन २०. प्रथमत: उद्दिष्ट स्मृतिका निरूप.. ५३ १७४ २१. प्रत्यभिज्ञानका लक्षण और जमले जनाका निरूपण
१७६ २२. तर्क प्रमाणका निरूपण २३. अनुमान प्रमाण का निरूपण २४. साधनका लक्षण २५. साध्यका लक्षण २६. अनुमानके दो भेद और स्वार्थानुमानका निरूपण
१८: २७. स्वार्थानुमानके अङ्गोंका कथन
१८६ २८. धर्मीकी तीन प्रकारसे प्रसिद्धिका निरूपण ७३ १८७ २६. परार्थानुमानका निरूपण
७५ १८६ ३०, परार्थानुमानकी अङ्गसम्पनि और उसके
अवयवोंका प्रतिपादन ३१. नैयायिकाभिमत पाँच अवयवोंका निराकरण १६० ३२. विजिगीषुकथामें प्रतिज्ञा और हेतुरूप दो
ही अवयवोंकी सार्थकताका कथन