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________________ विषय-सूची गावा गाचा पृष्ठ निश्चयपरमावश्यकाधिकार ज्ञान और दर्शनके स्वरूपकी आवश्यक शब्दको निरुक्ति १४१ ४१२ समीक्षा १६१-१६६ ४६९-४७८ आवश्यक युक्तिका निरुक्तार्थ १४२ ४१४ प्रत्यक्ष ज्ञानका वर्णन १६७ ४७९ आवश्यक किसके नहीं हैं १४३-१४५ ४२०-४२३ पोल ज्ञानका वर्णन १६८ ४७९ आत्मवश कौन है १४६ २६ ज्ञान दर्शन-दोनों स्वपर य आवश्यक प्राप्तिका प्रकाशक है १६९-१७१ ४८५-४८६ उपाय १४७ ४२९ केवलज्ञानीके बन्ध नहीं है १७२ ४९० आवश्यक करने की प्रेरणा १४८ ४३१ केवलज्ञानीके वचन बन्धके । बहिरान्मा और अन्तरात्मा कारण नहीं हैं १७३-१७४ ४९३ कौन है ? १४९-१५१ ४३३-४३७ कर्मक्षयसे मोक्ष प्राप्त होता है १७५ ४९७ प्रतिक्रमण आदि क्रियाओं कारण परम तत्वका स्वरूप १७६-१७७ ५०७ की सार्थकता १५२-१५५ ४३९-४४७ निर्वाण कहाँ होता है ? १७८-१८० ५१२-५१५ विवाद वर्जनीय है १५६ ४५० सिद्ध भगवान्का स्वरूप १८१ ५१९ सहज तत्त्वको आराधनाकी निर्वाण और सिद्धमें अभेद १८२ ५२० विधि १५७-१५८ ४५३-४५५ कर्म वियक्त आत्मा लोकाग्रशुद्धोपयोगाधिकार पर्यन्त ही क्यों जाता है ? १८३ ५२३ निश्चय और व्यवहार नयसे ग्रन्थका समारोप १८४-१८३ ५२७-५३५ केवलीको व्याख्या १५९ ४६३ टीका कर्तृप्रशस्ति ५५६-५६४ केवलज्ञान और केवल दर्शन गाथा सूची ५६५-५६८ साथ-साथ होते हैं १६७ ४६७ शुद्धि-पत्र ५६९-५७८
SR No.090307
Book TitleNiyamsara Prabhrut
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1985
Total Pages609
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size14 MB
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