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नियमसाप्राभृतम् गाया पृष्ठ
गाथा पृष्ठ ब्रह्मचर्य महावतका स्वरूप ५९ १८० ज्ञानी जीवको भावना १०२ २९१ परिग्रह त्याग महाव्रतका स्वरूप ६०१८२ आत्मगत दोषोंसे छूटनेका ईया समितिका स्वरूप
१८४ उपाय १०३-१०४ २९३-२९४ भाषा समितिका स्वरूप
१८६ निश्चय प्रत्याख्यानका अधिएषणा समितिका स्वरूप
१८७ कारी कौन है १०५-१०६ २९८ आदान निक्षेपण समितिका स्वरूप ६४ १८९
परमालोचनाधिकार प्रतिष्ठान समितिका स्वरूप
१९१ आलोचना किसको होती है ? १०७ ३०५ मनोगुप्तिका लक्षण ६६ १९३ आलोचना के चार रूप १०८ ३०८ वचन गुप्तिका लक्षण
१९५ आलोचनाका स्वरूप का मुप्तिमा
आलन्छनका स्वरूप निश्चय नयसे मनोगुप्ति और
अविकृतीकरणका स्वरूप १११ ३१६ __वचन गुप्तिका स्वरूप
१९८ भावशुद्धिका स्वरूप ११२ ३१८ निश्चय नयसे काय गुप्तिका
शुद्धनिश्चयप्रायश्चित्ताधिकार स्वरूप
१९९ निश्चय प्रायश्चित्तका अर्हत्परमेष्ठीका स्वरूप
११३-११४ ३२४-३२७ सिद्ध परमेष्ठीका स्वरूप
२११ कषायों पर विजय प्राप्त आचार्य परमेष्ठीका स्वरूप ७३
करनेका उपाय
३२९ उपाध्याय परमेष्ठीका स्वरूप ७४ २१६ निश्चय प्रायश्चित किसके साधु परमेष्ठीका स्वरूप ७५ ९१८ होता है ? व्यवहार नयके चारित्रका
तपश्चरण ही कमक्षयका कारण ११७ समारोप और निश्चय नथके
तप प्रायश्चित्त क्यों है ? ११८ चारित्रका वर्णन करनेकी
ध्यान ही सर्वस्व क्यों है? ११९.१२० ३३९-३४० प्रतिज्ञा
७६ २२४ कायोत्सर्ग किसके होता है १२१ ३४३ परमार्थप्रतिकमणाधिकार
परमसमाध्याषिकार मैं नारको आदि नहीं हूँ ७७-८२ २३१-२३९ परम समाधि किसके होती प्रतिक्रमण किसको होता है ८३-२१ २४४-२६४ ।।
१२२-१२३ ३४८.३५३ आत्मध्यान ही प्रतिक्रमण है ९२-९३ २६५-२६९ समताके बिना सब व्यर्थ है १२४ ३५६ व्यवहार प्रतिक्रमणका वर्णन ९४ २७२ स्थायी सामायिक किसके निश्चयप्रस्याख्यानाधिकार
१.५-१३३ ३५९-३८५ प्रत्याख्यान किसके होता है ९५ २७७
परमभक्रयाधिकार आत्माका ध्यान किस प्रकार
निवृत्ति भछि किसके किया जाता है ? २६-१०० २८०-२८८ होती है १३४-१३६ ३८६-३९४ जीम अकेला ही जन्ममरण
योगभक्ति किसके होती है १३७-१३८ ३९६-३९९ करता है
१.१ २९० योगका लक्षण १३९-१४० ४०२-४०५
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