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________________ ६५६ माया - मात्रा । मीयतेऽसौ मीयते वाऽनयेति माया । जो मापा जाता है अथवा जिससे मापा जाता है, वह मात्रा है। मार- कामदेव खाणे खणे मारयतीति मारो। t जो क्षण-क्षण में मारता है, वह मार / कामदेव है । माहण - माहन, अहिंसक मा इह सव्वसत्तेर्हि भणमाणो अहणमाणो य माइणो भवति । किसी सत्त्व का हनन मत करो, ऐसा कहने वाला माहन कहलाता है हनन नहीं करता, वह 'माइन' होता है। मीसियाकहा- मिश्रकथा धम्मो अत्यो कामो उवइस्सइ जत्थ सुत्त कव्येसु लोगे वेदे समए, साव कहा मीसिया नामं ॥ मुट्ठि मुष्टि। अंगुटुंगुलितलसंघातो मुट्ठी । अंगूठे और अंगुलि का संघात होना ष्ट है। | मुनि मुनि । मुणेति जगं तिकालावस्थं मुणी । जिन सूत्रों, काव्यों तथा लौकिक ग्रन्थों - रामायण आदि में, यज्ञ आदि क्रियाओं में तथा सामयिक ग्रन्थों— तरंगवती आदि में धर्म, अर्थ और काम- इन तीनों का कथन किया जाता है, वह मिश्रकथा है। ( दर्शनि १७९) (६चू-५. ३५) ( आचू. पृ. १०४ ) (उच्. पृ. २०३) जो त्रिकालावस्थित जगत् को जानता है, वह भुनि हैं। ● मनुते मन्यते वा धर्माधर्मानिति मुनिः । धर्म और अधर्म का मनन करने वाला मुनि होता है। • सावज्र्ज न भासति ति मुणी । o सावज्खेसु भोर्ण सेवति ति सुणी । जो सावध वाणी नहीं बोलता, वह मुनि है। मुक्त - मुक्त | बाहिरब्धंतरेहि गंधेहिं विप्यमुक्तो मुत्तो । बाह्य और आभ्यन्तर ग्रंथि से रहित मुक्त कहलाता है। 'ज्ञानावरणीयादिकर्मबन्धनाद्वियुक्तो मुक्तः । ज्ञानावरणीय आदि कर्मबंधन से विमुक्त मुक्त कहलाता है। 0 मुम्मुर - मुर्मुर। करिसगादीण किंचि सिद्धो अग्गी मुम्मुरो । निर्युक्तिपंचक 6 • मुम्पुरो नाम जो छाराणुगओ अग्गी सो मुम्मुरो । कंडे की अग्नि या क्षारादिगत अग्नि-कण को मुर्मुर कहते हैं। ( उचू. पृ. १३३) . विरलाग्निकणं भस्म मुर्मुरः । वह राख जिसमें विरल अग्निकण हो, मुर्मुर कहलाती है। (आचू. पृ. १०८ ) ( दशअचू. पृ. ३८, दशजिचू. पृ. ७४ ) अथवा जो किसी का ( सूचू. १ पृ. २४६ ) ( दशअचू. पू. २३४) ( सूटी. पृ. ९७ ) (दशअचू पृ. ८९, दशजिचू. पू. १५६ ) (दशहाटी. प. १५४) मुम्मुही - मुन्मुखी (जीवन की एक अवस्था)। विणओकमंतो मूक इव भाषते मुम्मुही। जिस अवस्था में व्यक्ति मूक की भांति बोलता है, वह मुन्मुखी हैं । (दचू.प. ३)
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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