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________________ आधारांग नियुक्ति २१८. ३३६. २९३. धीरे-धीरे सम्पूर्ण आहार के त्याग का ३२०. शय्या, ईर्या, भवग्रह, पिंड, भाषा और पात्र निर्देश । के निक्षेप का निर्देश। २९४. देश विमोक्ष का स्वरूप । ३२१. शम्या के निक्षेप तथा संयती के योग्य पाम्या नौवां अध्ययन : उपधामश्रुत के विषय में जिज्ञासा । ३२२,३२३. द्रव्य शय्या के भेद तथा वल्गुमती का तीर्थकरों द्वारा अपने तीर्थ में उपधानथुत उदाहरण । अध्ययन में तपस्या का उपदेश । ३२४. भावाम्या के भेद । २९६. अन्य तीर्थंकरों का निरूपसर्ग तथा महावीर ३२५. वचन-विणोधि के कारणों के कथन की का सोपसर्ग कष्टबहुल तपःकर्म का निर्देश । प्रतिज्ञा । तीकारा . ३२६.३२७ मध्यपणा अध्ययन के उद्देशकों की विषय दुःखबहुल मानव जीवन में सप का महत्त्व । वस्तु का निर्देश। २९९. उपधान श्रुत के उद्देशकों की विषय-वस्तु ३२८. ईर्वा गब्द के छह प्रकार से निक्षेष । का कथन । ३२९, द्रव्य ईया के भेद । ३००, उपधान तथा श्रृत शब्द के निक्षेप । भाव ईर्या के भेद। ३०१. ध्य उपधान तथा भाष उपधान का स्वरूप। ३३१,३३२. ईयो की शूद्धि के प्रकार । ३०२. भाव उपधान के विषय में मलिन वस्त्र की ३३३-३५. ईर्यषणा अध्ययन के उद्देशकों की विषय वस्तु उपमा । का निर्देश। ३०३. ओधुणण शम्ब के एकार्थक । भाषा शब्द के निक्षेप तया दशकालिक की महावीर के पथ पर चलने से सिद्धि-प्राप्ति चावय-शुद्धि नियुक्ति की भांति इसकी का निर्देश। नियुक्ति करने का निर्देश। द्वितीय अतस्कंध : आचारचूला भाषाजात अध्ययन के उद्देशकों की विषय वस्तु का वर्णन । ३०५,३०६. द्रव्य और भाव अग्र का स्वरूप । ३३८. वस्त्रषणा अध्ययन के उद्देशकों की विषय३०७. आचाराम आचारचूला के निर्यहण का वस्तु का निर्देश तथा पात्र के निक्षेप । उद्देश्य । ३३९-४२. अवग्रह शब्द के निक्षेप तथा अवग्रह के भेद३०८,३०९. आचारचुला के उद्देशकों की विषय वस्तु का प्रभेद । कथन । ३१०,३११. अध्ययनों के निर्यहण-स्थल का निर्देश । दूसरी चूला : सप्तसप्तिका ३१२-१४. एकविध संयम का विस्तार कैसे? ३४३. द्वितीय घला के अध्ययनों की विषय वस्तु । ____ महाव्रत पांच ही क्यों ? उपचार और प्रस्रवण शब्द का निरुक्त । महावतों की सुरक्षा के लिए पांच-पांच ३४५. मुनि को अहिंसा की दृष्टि से सच्चारभावनाओं का निर्देश । प्रस्त्रवण विधि में अप्रमत्त रहने का निर्देश । पंच चूलिकाओं का नामोल्लेख । न्यशकद और भावशद का स्वरूप । पहली चूला : पिण्डषणा ३४७. पर और अन्य शब्द के निक्षेप । ३४८. यतमान और निष्प्रतिकों का पर से संबंध । ३१८. पिडषणा नियुक्ति की भांति शय्या, वस्त्र, पात्र आदि की नियुक्ति का कथन । तोसरो चूला : भावना दशकालिक के वाक्य-शुद्धि अध्ययन की ३४९. द्रा भावना का स्वरूप तथा भाव पावना मांति भाषा-विवेक का यम । के भेद ।
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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