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________________ २३६ २१३. सुप्त एवं मत व्यक्ति के दुःख का निर्देश | जागत एवं विवेकी व्यक्ति की दुःख से मुक्ति । चौथा अध्ययन सम्यक्त्व २१४. २१४.२१६. सम्यक्त्व २१७. २१५. २११. २२०, २२१. धार्मिक क्रिया करते हुए भी मिध्यादृष्टि की सिद्धि संभव नहीं । सम्यग्दर्शन की महत्ता । २२२. २२३, २२४. गुणस्थानों का कमारोह । २२५. २२६. २२७. २३९. श्रमण के लिए माया न करने का निर्देश । तीर्थंकरों द्वारा तीनों कालों में अहिंसा के उपदेश का कथन । पटकाम जीवों की सधा हिसा न करने का उपदेश ; गुप्त की कथा का संकेत | २२८-३२. २३३, २३४. कर्मबंधन में मिट्टी के दो गोलकों का दृष्टांत । २३५. कर्मक्षय करने में शुष्क काष्ठ की उपमा । पांचवां अध्ययन लोकसार २३६-३८. लोकसार अध्ययन के उद्देशकों के विषयों का संक्षिप्त कथन । प्रस्तुत अध्ययन के नाम का कारण तथा लोक और सार शब्द के निक्षेप | द्रव्यसार की व्याख्या । २४०. २४१. २४२. २४३. के नकों के विषयों २४४. २४५. का संक्षेप में संकेत । सम्यक शब्द के निक्षेप । २४६. द्रव्य सम्यक का स्वरूप । भाव सम्यक् के भेद | भावसार का स्वरूप । लोक में ज्ञान दर्शन चरित्र ही सार । · शंका छोड़कर खारपद ज्ञान दर्शन स्वीकार करने का संकेत ओक आदि का सार क्या है ? लोक का सार धर्मं धर्म का सार ज्ञान, ज्ञान का सार संयम तथा संयम का सार है - निर्वाण | चार, चर्या शब्द के एकार्थक तथा निक्षेप निर्मुक्तिचक २४७, २४५. क्षेत्रवार, मावचार आदि का स्वरूप । २४९. मुनि के आचार का निर्देश । छठा अध्ययन धुत २५०, २५१. २५२ सातवां अध्ययन महापरिज्ञा २५३-६३. महापरिज्ञा अध्ययन के विषयों का निर्देश पाहृष्ण और परिमाण शब्द के निक्षेप का २६४. कथन । २६५. प्रधान शब्द के निक्षेप तथा अर्थ कथन । २६६. महद शब्द के निक्षेप तथा अर्थ कथन । २६७.२६०. परिज्ञा शब्द के निक्षेप तथा उनका स्वरूप | २६९. महापरिक्षा की स्पष्टता । २७०. देवी मानुषी तथा तियंजन स्त्री का सर्वथा त्याग | आठवां अध्ययन विमोक्ष २७१-७५. विमोक्ष अध्ययन के उद्देशकों के विषयों का संक्षेप में निर्देश २५१. २०२. २८३. अध्ययन के उद्देशकों की विषय-वस्तु २७६. विमोक्ष शब्द के छह प्रकार से निक्षेत्र । २७७,२७८. इव्यविमोक्ष तथा भावविमोक्ष के भेद । २७९.२८०. बंध तथा मोक्ष का स्वरूप। २०४. का संक्षिप्त कथन । भावधुत का स्वरूप । २५५ २०६. २८७. २८०-९१ २९२. भाव विमोक्ष की परिभाषा । समाधि मरण मरने का निर्देश । सपराक्रम मरण में आर्यवच का उदाहरण । अपराक्रम मरण में उदधि आचार्य का जवाहरण । व्याघातिम मरण में तोसलि आचार्य का उदाहरण । अभ्याघातिम मरण का प्रतिपादन । द्रव्य संलेखना में कथा का निर्देश | संलेखना के क्रम का निर्देश । तपःकर्म पंडित के विषय में विज्ञासा।
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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