SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 328
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१५. उत्तराध्ययननियुक्ति तेरहवां अध्ययन विसंभतीय ३२२,३२३. चित्र, संभूत शब्द के चार निक्षेप हैं— नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव । द्रव्य निक्षेप के दो भेद हैं- बागमतः, नो-आगमतः । नो-आगमतः के तीन भेद हैं-जशरीर, भव्यशरीर और तदुद्व्यतिरिक्त । तद्द्व्यतिरिक्त के तीन भेद हैं- एकभविक, बद्धायुष्क और अभिमुख - नामगोत्र । ३२४. चित्र और संभूत के आयुष्य का वेदन करने वाले भावतः चित्र और संभूत हैं। उन दोनों के नाम से समस्थित यह अध्ययन 'चित्रसंभूतीय' है । ३२५. साकेत नगर में चन्द्रावतंसक राजा का पुत्र था मुनिचन्द्र सागरचन्द्र के साथ मुनिचन्द्र प्रजित होकर श्रमण बन गया। ३२६. अटवी में तृष्णा और सुधा से व्याकुल श्रमण (भुनिचन्द्र ) को देखकर गोपालकों ने प्रासुक अन्न से उसे प्रतिलाभित किया। फिर भुनि के उपदेश से दे चारों गोपालक पुत्र बोधि की प्राप्त हो गए । ३२७. मुनि के मलदिग्ध शरीर को देखकर दो गोपालक पुत्रों को घृणा हो गई । जुगुप्सा करने के कारण वे दोनों मरकर दशाणं जनपद में दास रूप में उत्पन्न हुए और शेष दो गोपालकपुत्र इषूकारपुर के ब्राह्मण कुल में उत्पन्न हुए। यहां ब्रह्मदत्त का अधिकार है 1 ३२८,३२९. पांचाल जनपद का राजा ब्रह्म, काशी जनपद का राजा कटक, कुरु जनपद का राजा कर्णेरदत्त, अंग जनपद का राजा पुष्पबूल, कोशल जनपद का राजा दीर्घ- ये पांचों मित्र राजा थे। इन सभी ने एक ही समय में पाणिग्रहण किया था अर्थात् ये सभी समवयस्क थे । ( राजा ब्रह्म के मर जाने पर ) चारों मित्र राजा एक-एक वर्ष उस राज्य की सार-संभाल करने के लिए वहां रहने लगे। ३३०. ब्रह्मराज के चार स्त्रियों थीं इन्द्रश्री, इन्द्रयथा इन्द्रवसु और चुलनीदेवी । चूलनी देवी ने ब्रह्मदत्त नामक पुत्र को जन्म दिया। उसी दिन धनु नामक सेनापति के वरधनु नामक पुत्र हुआ ३३१-३५. चित्र राजा की कन्या विद्युत्माला और विद्युत्मती चित्रसेन की कन्या भद्रा, पन्धक राजा की कन्या नागयशा, कीर्तिसेन की कन्या कीर्तिमती, यक्षहरिल राजा की कन्या देवी, नागदत्ता, यशोमती और रश्नवती, चारुदत राजा की कन्या बच्छी, कात्यायनगोत्रीय वृषभ राजा की कन्या शिला, धनदेव, वणिक्, वसुमित्र, सुदर्शन और मायावी दाहक – ये चारों कुक्कुट युद्ध के प्रसंग में परस्पर मिले थे, वहां की पुस्ती नामक कम्या, पोत राजा की कन्या पिंगला, सागरदस वणिक् की कन्या दीपशिखा, काम्पिल्य की पुत्री मलयवती, सिन्धुदत्त की कन्या वनराजि और सोमा, सिन्धुसेन की कन्या वानीरा प्रद्युम्नसेन की कन्या प्रतिका- ये सभी ब्रह्मदत्त की रानियां थीं। हरिकेशा, गोदा, करेणदत्ता, करेणुप्रदिका, कुंजरसेना, करेणुसेना, ऋषिवृद्धि, कुवमती – ये आठों ब्रह्मदत्त के अन्तःपुर की प्रधान रानियां थीं। महारानी कुरुमती स्त्रीरत्न थी ।
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy