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________________ विषयानुक्रम उत्तर शब्द के निक्षेप उत्तर और अनुत्तर का स्वरूप उत्तराध्ययन के अध्ययन का क्रम। उत्तराध्ययन के स्रोत । अध्ययन गाद का निक्षेप तथा एकार्थक । अध्ययन शब्द की व्युत्पत्ति। ८. आचार्य की दीपक से उपमा। ९. भाव आय का स्वरूप तथा एकार्थक । द्रध्यक्षपणा का स्वरूप । ११. भावनपणा का स्वरूप। १२. श्रुतस्कन्ध के निक्षेप । १६-१७. उत्तराध्ययन के छत्तीस अध्ययनों के नाम । १८-२६. अध्ययनों की विषयवस्तु । २७. प्रत्येक अध्ययन के व्याख्या की प्रतिज्ञा। पहला अध्ययन २८, विनयश्रुत के उपक्रम आदि द्वार । २८॥१,२. अध्ययन के चार प्रकार और विनयश्रुत के साय उनकी संयोजना । २८१३,४. अध्ययन शब्द का निरुक्त । २९. श्रुत शब्द के निक्षेप। ३०. संयोग शब्द के छह निक्षेप । २१-६४. संयोग के भेद-प्रभेद । ६५. दुष्ट और आकीर्ण घोड़े के एकार्थक । दूसरा अध्ययन ५६-६८. परीषह के निक्षेप। ६९. भावपरीषह के द्वार । ७.. कर्मप्रवाद पूर्व में परीषहों का वर्णन । ७१,७२. परीषहों का अधिकारी। ७३. परीषहों का समवतरण । ७४-७९. कर्मप्रकृति और परीषहों का सम्बन्ध । २०. किस साए में कितने परीषह ? ५१,८२.परीषह और नय । ५३. एक समय में एक व्यक्ति में उत्कृष्ट परीषहों की संख्या। ८४. परीषहों का कालमान । सनत्कुमार चक्रवर्ती द्वारा सात सौ वर्षों तक परीषह-सहन। परीषहों का क्षेत्र-विमर्श । उद्देश आदि तीन द्वारों का कथन । ५८,९. बावीस परीषहीं की कथाओं का संकेत । सुधा परीषह में हस्तीभूति का उदाहरण । तृषा परीषह में धनशर्मा मुनि का कथानक। ९२. शीत परीषह में मदबाह के शिष्यों का उदाहरण। उष्ण परीषह में अग्निक की कथा । देशमशक परीषह में सुमनभद्र मुनि की घटना। ९५-९८. बस्त्र परीषह में सोमदेव मुनि का उदाहरण | ९९,१००. रति-अरति परीषह का उदाहरण । १०१-१०६. स्त्री परीषह में मुनि स्थूलभद का उदाहरण। १०७. चर्या परीषह में संगम आचार्य का उदाहरण। १०८, नैषेधिकी परीषह में कुरुदत्त की कथा । १०९,११०. शय्या परीषह की कथा का संकेत । १११. आक्रोश परीषह में अर्जुनमाली का कयानक । ११२-११४. वत्र परीषह में स्कन्दक आचार्य की कथा । ११५. याचनापरीषह में बलदेव तथा अलाभ परीषह में हुंडण मुनि का उदाहरण । रोग परीवह में कालबशिक मुनि का उदाहरण । तृणस्पर्श परीषह के अन्तर्गत भ्रद मुनि की घटना। मैल परीषह में सुनंद श्रावक की कथा। ११९. सत्कार परीषह में इंद्रदत्त पुरोहित की कथा । १२०. प्रज्ञा परीषद का उदाहरण । १२१,१२२. ज्ञान परीषह के अन्तर्गत दो कथाओं का संकेत।
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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