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-निमितशास्त्रम् -
[८५ वस्तुओं के भाव गिरते हैं । जनता में शान्ति रहती है। प्रशासक वर्ग में
समृद्धि बढ़ती है। जन साधारण में परस्पर विश्वास और सहयोग की संभावना का विकास होता है।
९. आश्लेषा :- आश्लेषा नक्षत्र में प्रथम वर्षा होने पर वर्षा उत्तम नहीं होती। जनता म असन्तोष और अशान्ति फैलता है। सर्वत्र अनाज,
की कमी सताती है। अग्निभय और शस्त्रभय से जनता आतंकित रहती ॐ है। अराजकता की वृद्धि होती है। क इस नक्षत्र में तेज वायु के साथ वर्षा होने पर उक्त प्रदेश में कष्ट होता है। धूल और कंकड़-पत्थरों के साथ वर्षा हो तो उस प्रदेश में अवश्य ही अकाल पड़ेगा। ऐसी वर्षा प्रशासकों के लिए कष्टकारक होती
10 = मधा :- यदि प्रथम वर्षा मघा नक्षत्र में होती है तो शेष वर्षा समयानुकूल होगी, उससे फसल भी अच्छी होगी। जनता में सर्वतोमुखेन * अमनचैन व्याप्त होगा। उक्त नक्षत्र की वर्षा कलाकार और शिल्पकारों । के लिए कष्टप्रद है, मनोरंजक साधनों में कमी आयेगी । राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से यह वर्षा सामान्य फलदायक है। ११ = पूर्वाफाल्गुनी :- इस नक्षत्र की वर्षा का फल मघानक्षत्र में होने वाली वर्षा के फल के समान जानना चाहिये। ५२ = उत्तरा फाल्गुनी:- यदि उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में प्रथम वर्षा होती है तो सुभिक्ष और आजन्द का विस्तार होता है । वर्षा का प्रमाण * अच्छा होगा, फसल अच्छी होगी । खासकर धान की फसल बहुत अच्छी
होगी । इस वर्षा का फल पशु-पक्षियों के लिए भी लाभप्रद है। उक्त ६ नक्षत्र की वर्षा आर्थिक विकास में सहयोगिनी होती है। देश में कल
कारखानों और व्यापार की वृद्धि होगी। *१३ = हस्त :- इस नक्षत्र की वर्षा का फल उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में
होने वाली वर्षा के फल के समाज जानना चाहिये। *१४ = चित्रा:- चित्रा नक्षत्र में प्रथम वर्षा होने से उस वर्ष वर्षा बहुत कम होती है, फिर भी भाद्रपद और आश्विन माह में वर्षा अच्छी होती है। १५ - स्वाती:- स्वाती नक्षत्र में प्रथम वर्षा होजे से उस वर्ष वर्षा बहुत कम होती है परन्तु यह वर्षा आश्विन माह में समाधानकारक जलवर्षा ।