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निमित्तशास्त्रम्
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प्रधान की मृत्यु होगी और प्रतिमा जी की भुजा टूटने से मनुष्यों को घोर पीड़ा होगी ।
पडिमा विणिगामेण य रायामरणंच चोर अग्निभयं । जायइ तइए मासे पडिए पुण लक्खइ पडणं ॥७७॥ अर्थ :
यदि प्रतिमा से आग निकलते हुए दिखाई पड़े अथवा मूर्ति सिंहासन से गिर पड़े तो जान लो कि तृतीय माह में राजा की मृत्यु होगी तथा नगर में चोर व अग्नि का भय होगा ।
जइ पुण एए सव्वे पक्खब्भंतरेण उप्पाया । जायंति तया खिप्पं दुब्भिक्खभयं णिवेदंति ॥७८॥ अर्थ :
यदि उपर्युक्त उत्पात बराबर पन्द्रह दिन होता रहे तो बहुत शीघ्र दुष्काल का भय अवश्य होगा ।
देवा णच्वंति जिहं परिसज्जंतीय तहय रोवंति । जय घूमंति चलंतिय हसंति वा विधिहरूवेहि ॥७९॥
अर्थ :
यदि देव की प्रतिमा नाचने लगे, जीभ निकाले, रोने लगे, घूमने लगे, चलने लगे, हँसने लगे या कई प्रकार के भाव दिखाती हो तोभावार्थ:
होती है ।
प्रतिमा विकृतरूप से दिखाई पड़े तो अवश्य ही कुफल की प्राप्ति
प्रतिमा विकृतरूप में कैसे होगी ?
देव की प्रतिमा नाचने लगे, जीभ निकाले, रोने लगे, घूमने लगे, चलने लगे, हँसने लगे या इस तरह कोई भाव प्रकट करने वाली होगी, तो क्या फल होगा ? इसका वर्णन आगे तिच्या जायेगा ।