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अर्थ :
(निमित्तशास्त्रम)
अर्थ :
छत्र का भंग होने के कारण राजा को हानि होती है । जिनेन्द्रदेव की प्रतिमा का रथभंग होने से राजा का मरण होता है तथा छह माह में उस नगर का भी नाश होता है ।
भामंडलस्स भंगे जरदरीडा य भरणांलाया
होहइ तइए मासे अहवा पुण पंचमे मासे ॥७३॥
भामण्डल के भंग हो जाने पर तीसरे या पाँचवें माह में राजा को यावज्जीवन के लिए कष्ट होता है।
हत्थत्त पुणो भंगे कुमारमरणं च तइए मासेण । पायस्स पुणो भंगे जणपीडा सत्तमे मासे ॥७४॥
३४
अर्थ :
प्रतिमा का हाथ टूटने से तीसरे माह में राजकुमार की मृत्यु होगी और पाँव टूटने से सातवें माह में मनुष्यों को कष्ट होगा ।
एकदेसे चलिए यव्वययाणं वियाण पीद्वेइ । णयरस्स हवइ पीडा णच्चंतो तइयमासेण ॥७५॥
अर्थ :
यदि प्रतिमा स्वयं ही चलायमान हो जावे तो तीसरे माह में नगर के मनुष्यों को और राजा को अचानक कष्ट होगा ।
णरवइपहाणमरणं सत्तममासेण हवइ सिरभंगे। वउवण्णस्स पुणो जणवइपीडा हवइ घोरा ॥ ७६ ॥
अर्थ :
यदि प्रतिमा का मस्तक भंग हो जावे तो सातवें माह में राजा के