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निमित्तशास्त्रम्
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भावी उन्नति भी होती है।
गन्धद्रव्य के आसपास में न होनेपर भी यदि सुगन्धि का अनुभव हो तो मित्रमिलन, धनलाभ और शान्ति की प्राप्ति होती है। २:- धन-धान्य नाशसूचक उत्पात रात या दिन के समय में उल्लू किसी के घर में प्रविष्ट होकर बोलने लगे तो उस व्यक्ति की सम्पत्ति छह महीने में नष्ट हो जाती है। घर के दरवाजे पर लगा हुआ वृक्ष रोने लगें तो उस घर की सम्पत्ति विलीन होती है, घर में अनेक प्रकार के रोग फैलने से कष्टों की वृद्धि होती है। घर की छत के ऊपर बैठकर सफेद कौआ पाँच बार जोर-जोर से कॉव-काँव करें, पुनः चुप होकर तीन बार धीरे-धीरे काँव-काँव करे तो उस घर की सम्पत्ति एक वर्ष में नष्ट हो जाती हैं। यदि यही घटना नगर के बाहर पश्चिमी द्वार पर घटित हो तो उस नगर की सम्पत्ति का विनाश हो जाता है ।
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जंगल में गयी हुई गायें मध्याह्न में ही रंभाती हुई लौटकर आ जायें और वे अपने बछड़ों को दूध न पिलायें तो सम्पत्ति का विनाश समझना चाहिये |
लगातार तीन दिनों तक प्रातकालीन सन्ध्या काली, मध्याह्नकालीन सन्ध्या नीली और सायंकालीन सन्ध्या मिश्रित वर्ण की दिखलाई पड़े तो उसे भय, आतंक के साथ द्रव्य विनाश की सूचना समझनी चाहिये । रात को निरभ आकाश में ताराओं का अभाव दिखलाई पड़े या. तारायें टूटती हुई दिख पड़े तो रोग और धननाश ये दोनों ही फल प्राप्त होते हैं ।
पशुओं की वाणी मनुष्य के समान प्रतीत होने लगे तो धनधान्य के विनाश के साथ संग्राम की सूचना भी मिलती है।
जिस घर पर कबूतर अपने पंखों को पटकते हुए उल्टा गिर पड़ता है और मृत जैसा दिखने लगता है उस घर का धनक्षय हो जायेगा । नगर की दक्षिणदिशा की ओर से श्रृंगाल रोते हुए नगरप्रवेश करे तो उस नगर का अकूत धन भी अतिशीघ्र ही नष्ट हो जाता है। ३:- रोगसूचक उत्पात = जिस नगर में चन्द्रमा कृष्णवर्ण का दिखाई पड़े, विभिन्न वर्ण की तारायें टूटती हुई बात हो तथा सूर्य उदयकाल में