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निमिन शास्त्रम---
[२४ । छम्मासेणय घोडी वरिसेणयहत्थिणी कुणई॥६१॥ । अर्थ :
__ जहाँ पर पन्द्रह दिन तक घोड़ी या हथिनी गाना सुने तो छह माह में घोड़ी और एक वर्ष में हथिनी उस देश का नाश करेगी। न सुणहीपणमासेहिजइपसवइतोवियाणउप्पादं।
गामविणासंएएछठे मासे पकुव्वंति॥६२|| अर्थ :है यदि घोड़ी और हथिनी पाँच माह तक गीत सुने तो छह माह में उस गाँव का नाश अवश्य होगा ।
जइछेलएहिगीढो कुक्कूरोमूसएहिमज्जारो। पिक्खिय एय णिमित्तंगावविणासंणिणायव्वो॥६३||
अर्थ :
जहाँ पर गीदड़ कुत्ते को तथा चूहा बिल्ली को मारे तो उस देश का जाश अवश्य होगा। जइसुक्खो वियरुक्खोउल्लहमाणोय दीसईजत्थ।
गामेवाणयरेवातत्थ विणासंतिणायव्वो॥६४|| अर्थ :
जिस ग्राम में अथवा नगर में सूखा पेड उखडता हुआ दिखाई पड़े तो उस नाम अथवा नगर का नाश अवश्य होगा ।
प्रकरण का विशेषार्थ उत्पातशब्द को परिभाषित करते हुए आचार्य श्री भद्रबाहु जी लिखते हैं -
प्रकृतेर्यो विपर्यासः स धोत्पातः प्रकीर्तितः।