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जिमित्तशास्त्रम
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अर्थ :* खण्डित आकार का कोई मण्डल यदि चन्द्रमा के चहुँ ओर दिखाई पड़े तो पाँचवें माह में दूध का नाश होता है । इसमें कोई सन्देह है नहीं है। : जे मंडलाय पछिया सूरो ससिणो य तित्तियचिवा।
वर सुप्पाइ णिमित्तं ते सव्वे हुँति णायव्वा॥४१|| अर्थ :
पूर्व में जो कुछ सूर्य या चन्द्रबिम्ब के चिह्नों का कथन किया। १ गया है, वे निमित्त अवश्य ही होते हैं।
भावार्थ :है पूर्व गाथाओं में सूर्य और चन्द्र के चिह्नों का कथन विस्तारपूर्वक किया गया है। आचार्य भगवन्त कहते हैं कि निमित्त का अध्येता ध्यानपूर्वक प्रकाशबिम्बों को देखकर फल ज्ञात करता है। वे निमित्त अवश्य ही होते हैं।
पव्वणि रहिओ चंदो राहूणय गाढिणूपयासिज्जू।
सो कुणइ देसपीडं भयं च रणा णिवेदेहि॥४२॥ अर्थ :
जो चन्द्रमा पर्वरहित हो परन्तु ग्रहण लगा हुआ हो अर्थात् राहु के द्वारा ग्रसित किया गया हो तो वह चन्द्रमा देश में पीड़ा और भय को बताता है।
मेहाणय जेणूवा जे भणिया पढमसूर जोयस्स। 8 ते विय ससिणो सव्वे णायव्वा वण्णतूवेण॥४३॥ अर्थ :
जो चिह्न वर्षा के लिए पूर्व में सूर्य प्रकरण में कह आये हैं, वे ही चिह्न चन्द्रमा के भी हैं ऐसा जानना चाहिये।