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----निमित्तशास्त्रम् --
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आनन्ददायक है।
जइ सुरगुरूणासहिओदीसइ केऊण हम्मिउम्गमिदो। 8 अक्खइविप्पविणासदिमासचउत्थेणसंदेहो॥१८०॥
अर्थ :
यदि केतु गुरु के पास उगता हुआ दिखाई देवे तो चौथे माह में * ब्राह्मणों की आश होता है। ___ भुवि लोएदेसरिसंसस्साण विणासणो हवइ केऊ।
सुक्केण खत्तिणासंसोमेणयबालघादोय॥१८१|| अर्थ :
गुरु के साथ उदित होने वाला केतु अल्पवृष्टि करता है व अनाज * का नाश करता है । यदि केतु का उदय शुक्र के साथ हो तो वह क्षत्रियों
का नाश करता है तथा यदि केतु चन्द्रमा के साथ उदित हो तो वह * बालकों का घात करता है।
ससिणा रायविणासंराऊमज्झम्मिसव्वलोयस्स। बुह सहिओसुहकरणोदेसविणासोय सूरेण॥१८॥ अर्थ :
चन्द्रमा के साथ उदित हुआ केतु राजमृत्यु का सूचक है। बुध के साथ उदय को प्राप्त केतु अच्छा है। सूर्य के साथ उदयगत केतु देशनाशक
आइव्वा पणदीसडणवि किंविदितत्थ काहदेकेका अह रिक्खमग्गदीसइतस्स विणासंतिपुच्छेण॥१८३॥ अर्थ :
यदि केतु सन्ध्याकाल में दिखाई देवे अथवा सुकुमार चक्र में है। दिखाई देवे तो महान अशुभ का कारण है।