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________________ णमोकार प्रय ३१५ पद--सौ वर्ष । दिग्विजय काल-सत्तर वर्ष । चक्री पद-६६५३० वर्ष एवं दस लाख वर्ष की आयु के अन्त में मरणकर छठे नरकगामी हुए। (६) छठे नारायण पुण्डरीक -ये श्री अरहनाथ भगवान से पीछे और श्री मल्लिनाथ भगवान से पहले हुए। इनका शरीर प्रमाण-छब्बीस धनुष । आयु प्रमाण-पंसठ हजार वर्ष, इसमें कुमार काल-दो सौ पचास वर्षे । दिग्विजय काल-साठ वर्ष । त्रिखंड राज्य काल-६४४४० वर्ष एवं पैंसठ हजार वर्ष की प्रायु के अन्त में मरणकर छठे नरकगामी हुए। १५) सातवें नारायण पुरुषदत्त-ये श्री मल्लिनाथ और मुनिसुव्रतनाथ भगवान के अन्तराल में हुए । इनका शरीर प्रमाण-~-बाईस धनुष । आयु प्रमाण -बत्तीस हजार वर्ष, इसमें कुमार काल-दो सौ वर्ष । मंडलेश्वर पद राज्य काल-पचास वर्ष । दिग्विजय काल-पचास वर्ष । तीन खंड राज्य काल-३१७०० वर्ष एवं बत्तीस हजार वर्ष की प्राय के अन्त में मरणकर तीसरे नरकगामी हा। (८) आठवें नारायण लक्ष्मण-ये श्री मुनिसुत्रतनाथ और गमिनाथ भगवान के अन्तराल में हुए । इनका शरीर प्रमाण-सोलह धनुष । प्रायु प्रमाण-बारह हजार वर्ष । कुमार काल-सौ वर्ष । दिग्विजय काल-चालीस वर्ष । अर्द्ध चक्री राज्य काल-ग्यारह हजार आठ सौ साठ वर्ष एवं बारह हजार वर्ष की आयु के अन्त में मरण कर मेघा नामक तीसरे नरकमामी हुए। (6) नवमें नारायण श्री कृष्ण-ये श्री नेमनाय. भगवान के समय में हुए । इनका शरीर प्रमाण–दस धनुष । प्रायु प्रमाण एक हजार वर्ष उसमें कुमार काल-सोलह वर्ष । मंहलेदवर राज्य पदछप्पन वर्ष । दिग्विजय-पाठ वर्ष । अर्द्ध चको पद राज्य काल-नौ सौ बीस वर्ष एवं एक हजार वर्ष शरीर की आयु के अन्त में मरणकर बालुकाप्रभा नामक तीसरे नरकगामी हुए। ये सब नारायण महाविभूति संयुक्त, विद्याधर, भूमिगोचरी तथा बड़े-बड़े राजा महाराजाओं द्वारा माननीय और त्रिखंडाधिपति होते हैं । इनही के द्वारा निश्चय से प्रतिनारायण की मृत्यु होती है । इस प्रकार वर्तमान काल के नव नारायणों का संक्षिप्त वर्णन समाप्त हुआ। बलभद्र वर्णन प्रागे इनके ज्येष्ठ भ्राता जो बलभद्र होते हैं उनका वर्णन लिखते हैं ये भी नव ही होते हैं। ये सब धर्मश, उदारमना, परोपकारी, न्यायप्रिय, प्रजाहितपो, दानी, विचारशील और पवित्र हृदयी होते हैं। इनकी दो ही गति होती हैं-स्वर्ग या मोक्ष । इस वर्तमान काल में जो नव बलभद्र हुए हैं उनके नाम इस प्रकार हैं (१) प्रथम बलभद्र अचल' विजय--इसका शरीर प्रमाण अस्सी धनुष और प्रायु प्रमाण सत्तासी लाख वर्ष या। (२) दूसरे बलभद्र अचल-इनका शरोर प्रमाण सत्तर धनुष और प्रायु प्रमाण सत्तर लाख (३) तीसरे बलभद्र सुधर्म--इनका शरीर प्रमाण साठ धनुष और प्रायु प्रमाण पैसठ लाख (४) चौथे बलभद्र सुप्रभ-इनका शरीर प्रभाण पचास धनुष और पायु प्रमाण बत्तीस लाख (५) पांचवें बलभद्र सुदर्शन-इनका शरीर प्रमाण घालीस धनुष और प्रायु प्रमाण कुछ अधिक दस लाख वर्ष था।
SR No.090292
Book TitleNamokar Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeshbhushan Aacharya
PublisherGajendra Publication Delhi
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size14 MB
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