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वर्ष था ।
(७) सातवें बलभद्र नंदिमित्र - इनका शरीर प्रमाण बाईस धनुष और आयु प्रमाण बत्तीस हजार बर्ष था ।
नमोकार मं
(६) छठे बलभद्र नंदि - इनका शरीर प्रमाण उन्तालिस धनुष और श्रायु प्रमाण पैंसठ हजार
हजार बर्ष था ।
वर्ष था !
ये आठ बलभद्र तो अंतावस्था में संसार को अस्थिर, विषय भोगों को रोग के समान, संपत्ति को बिजली की तरह चंचल, शरीर को मांस, मल, रुधिर आदि अपवित्र वस्तुनों से भरा हुआ, दुःखों का देने वाला घिनौनी और नाश होने वाला जानकर सबसे उदासीन हो राज्यलक्ष्मी को तृणवत् त्यागकर जिन दीक्षा ले मुनि हो गए और घोर तपश्चरण करने लगे । अन्त में शुक्ल ध्यान द्वारा घातिया कर्मों का नाश कर लोकालोक का प्रकाशक केवलज्ञान प्राप्त किया । पश्चात् अघातिया कर्मों का नाशकर परम धाम मोक्ष सिधारे ।
( ६ ) नव में बलभद्र बलदेव – इनका शरीर प्रमाण दस धनुष औरमायु प्रमाण बारह सौ
(८) पाठवें बलभद्र रामचन्द्र -- इनका शरीर प्रमाण सोलह धनुष और प्रायु प्रमाण सत्रह
प्रायु गामी होंगे।
ये भी संसार विषय भोगों से बिरक्त होकर जिनदीक्षा ग्रहणकर दुस्सह तपश्चरण करते हुए सम्भव में महाऋद्धिधारी देव हुए। बहाँ से चयकर मोक्ष
श्रथ प्रतिनारायण वर्णनम्
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अब आगे नारायण के प्रतिपक्षी जो प्रतिनारायण होते हैं उनका वर्णन लिखिते हैंप्रतिनारायण नारायण के समान संपदाधारी होते हैं। इनको नारायण मारकर इनका साधा हुआ तीन खण्ड ( एक श्रार्य खण्ड और दो म्लेच्छ खण्ड ) का राज्य आप करते हैं। विजयार्ध के उत्तर में नहीं जाते हैं । इस अवसर्पिणी काल में जो नव प्रतिनारायण हुए हैं उनके नाम इस प्रकार हैं
प्रथम प्रतिनारायण मवग्रीव - इनका शरीर प्रमाण अस्सी धनुष और श्रायु प्रमाण चौरासी
बर्ष पा ।
लाख वर्ष थर ।
वर्ष था ।
बर्ष था ।
वर्ष था।
वर्ष था ।
पांचवें प्रतिनारायण मधुकैटभ - इनका शरीर प्रमाण पैंतालीस धनुष पोर आयु प्रमाण दस लाख बर्ष था ।
छठे प्रतिनारायण बली - इनका शरीर प्रमाण उनतालीस धनुष और प्रायु प्रमाण पैंसठ हजार
दूसरे प्रतिनारायण तारक --- इनका शरीर प्रमाण सत्तर धनुष और आयु प्रमाण बहत्तर लाख
तीसरे प्रातिनारायण मेरुक - इनका शरीर प्रमाण साठ धनुष और आयु प्रमाण साठ लाल
चौथे प्रतिनारायण निशुंभ- इनका शरीर प्रमाण पचास धनुष और श्रायु प्रमाण तीस लाख
सातवें प्रतिनारायण प्रहरण- इनका शरीर प्रमाण बाईस धनुष और आयु प्रमाण बतीस हजार