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________________ २५२ णमोकार ग्रंथ हजार नौ सौ नवासी प्रकीर्णक बिल-ये पांच लाख बिल सब संख्यात योजन.विस्तार के हैं और दो हजार छह सौ चौरासी बिल श्रेणी वद्ध और उन्नीस लाख सत्ताण३ हजार तीन सौ सोलह बिल प्रकीर्णक, ये बीस लाख बिल असंख्यात योजन विस्तार के हैं। सर्व पच्चीस लाख बिल हुए। तीसरे नरक में नव विल इन्द्रक, एक हजार चार सौ छिहतर बिल थेगोवद्ध और चौदह लाख मछाणवें हजार पाँच सौ पन्द्रह बिल प्रकीर्णक हैं उनमें से नौ इन्द्रक और दो लाख निन्याणवें हजार ती सौ इक्याणवे बिल प्रकीर्णक --ये तीन लाख तो संख्यात योजन विस्तार के हैं और एक हजार चार सौ छिहत्तर विल श्रेणीवद्ध और ग्यारह लाख अठ्ठान हजार पाँच सौ चौबीस बिल प्रकीर्णक - ये बारह लाख बिल असंख्यात योजन विस्तार के हैं। सब पन्द्रह लाख बिल हैं। बोथे नरक में सात विल इन्द्रक, सात सौ बिल श्रेणी पद्ध और नौ लाख निन्याणवें हजार दो सौ तरेसठ बिल प्रकीर्णक हैं उनमें से सान चिल इन्द्रक और एक लाख निन्याण३ हजार नौ सौ तिराणवें बिल प्रकीर्णक-सव दो लाख तो संख्यात योजन विस्तार के हैं और सात सौ बिल श्रेणी वद्ध और सात लाख निन्याणवें हजार तीन सौ बिल प्रकीर्णक--सब पाठ लाख बलि प्रसंख्यात योजन विस्तार के हैं। सब दश लाख बिल हैं। पांचवें नरक में पांच बिल इन्द्रक, दो सौ साठ बिल श्रेणोवद्ध और दो लाख निन्याणवे हजार सात सौ पैंतीस बिल प्रकीर्णक हैं। इनमें से पांच बिल इंद्रक, उनसठ हजार नौ सौ पिच्चाणवें बिल प्रकीअंक - ये साठ हजार बिल तो संख्यात योजन विस्तार के हैं और दो सौ साठ बिल गोवद्ध और दो लाल उनतालीस हजार सात सौ चालीस बिल प्रकीर्णक-सब दो लाख चालीस हजार बिल असंख्पात योजन विस्तार के हैं । सब तीन लाख चिल हैं। छठवें नरक में तीन विल इंद्रक साठ यिल श्रेणीबद्ध और निन्याणचे हजार नौ सौ बत्तीस बिल प्रकीर्णक हैं उनमें से तीन बिल इन्द्रक, उन्नीस हजार नौ सौ छयानवें विल प्रकीर्णक-सब उन्नीस हजार नौ सौ निम्याणवें विल तो संपात योजन विस्तार के हैं और साठ बिल श्रेणीबद्ध और उनहत्तर हजार नौ सो छत्तीस विल प्रकीर्णक - सर्व उनहत्तर हजार नौ सौ छयानवें बिल असंख्यात योजन विस्तार के हैं। सर्व निन्याणबें हजार नौ सौ पिच्याण हैं। सातवें नरक में एक बिल इन्द्रक संख्यात' योजन विस्तार का, चार बिल श्रेणीवर असंख्यात योजन विस्तार के हैं। सर्व पांच बिल हैं। इन्द्रक दिलों के विस्तार का वर्णन : इन्द्रक बिल जो संख्यात योजन विस्तार के कहे गए हैं उनका विस्तार इस प्रकार है। प्रथम इन्द्रक बिल पैंतालीस लाख योजन है प्रथम नरक के प्रथम इन्द्रक बिल का विस्तार पैंतालीस लाख योजन, दसरे का चौरासी लाल पाठ हजार तीन सौ तेतीस और एक योजन के तीन भाग में से एक भाग अधिक योजन, तीसरे का तेतालीस लाख सोलह हजार छह सौ छयासठ और एक योजन के तीन भाग में से दो भाग अधिक योजन, चौथे का वयालीस लाख पच्चीस हजार, योजन, पांचवें का इकतालीस लाख तेतीस हजार तीन सौ तैतीस और एक योजन के तोन भाग में से एक भाग अधिक छठे का चालीस लाख इकतालीस हजार छह सौ छयासठ और एक योजन के तीन भाग में से दो भाग अधिक योगन, सातवे का उनतालीस लाख पचास हजारयोजन, पाठये का प्रतीस लाख पठावन हजार तीन सौ तेतीस मोर एक योजन के तीन भाग में से एक भाग अधिक योजन, नर्वे का सेंतीस लाख छयासठ हजार छह सौ छयासठ और एक योजन के तीन
SR No.090292
Book TitleNamokar Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeshbhushan Aacharya
PublisherGajendra Publication Delhi
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size14 MB
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