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________________ पोसार व भाग में दो भाग अधिक योजन, दसर्वे का छत्तीस लाख पिचहत्तर हजार योजन, ग्यारहवें का पैतीस लाख तिरासी हजार तीन सौ सेंतीस और एक योजग के तीन भाग में से एक भाग अधिक योजन, बारहवें का चौतीस लाख इक्यानवें हजार छह सौ छयासठ और एक योजन के तोन भाग में से दो भाग अधिक योजन, तेरहवें का चौतीस लाख योजन है । ये प्रथम नरक के इन्द्रक विलों का विस्तार है। दूसरे नरक के प्रथम इन्द्रक बिल का विस्तार तेतीस लाख पाठ हजार तीन सौ तेतीस और एक योजन के सीन भाग में से एक भाग अधिक योजन, दूसरे का बत्तीस लाख सोलह हजार छहसी छयासठ और एक योजन के तीन में से दो भाग अधिक योजन. तीगरे का इकतीस लाख पच्चीस हजार योजन, चौथे काहीस लाख तीस हजार तीन सौ तेंनीस और एक योजन के तीन भाग में से एक भाग अधिक योजन, पांचवें का उननीस लाख इकतालीस हजार छह सौ छयासठ और एक योजन के तीसरे भाग में से दो भाग भत्रिक योजना, छठे का अट्ठाईस लाग्य पचास हजार योजन, सासवें का सत्ताईस लाख प्रठ्यावन हजार तीन सौ तेतीस और एक पोजन के तीन भाग में से एक भाग अधिक योजन, पाठवें का छछलीस लाख छयासठ हजार छह सौ छयासठ और एक योजन के तीन भाग में से दो भाग अधिक योजन, नवें का पच्चीस लाख पिचहत्तर हजार योजन, दसवें का चौबीस लाख तिरासी हजार तीन सौ तेंतीस और एक योजन के तीन भाग में से एक भाग अधिक योजन, ग्यारहवें का तेईस लाख इमाणवें हजार छह सौ छयासठ और एक योजन के तीन भाग में से दो भाग अधिक योजन-यह दूसरे नरक के इन्द्रक बिलों का विस्तार है। तीसरे नरक के प्रथम इन्द्रक बिल का विस्तार तेईस लाख योजन, दूसरे का बाईस लाख, पाठ हजार तीन सौ तेतीस और एक योजन के तीन भाग में से एक भाग अधिक योजन, तीसरे का इसकीम लाख सोलह हजार छह सौ छयासठौर एक योजन के तीन में से दो भाग अधिक योजना, पौधे का बीस लाख पच्चीस हजार योजन, पांचवें का उन्नीस लाख तेतीस हजार तीन सौ तेतीस और एक योजन के तीन भाग में से एक भाग अधिक योजन, छठे का (१८४१६६६१) योजन, सातवे का (१७५००००) योजन, प्राठवें का (१६५८३३३) योजन, नवें का(१५६६६६६६) योजन-यह तीसरे नरक के इन्द्रक बिलों का विस्तार है। धौथे नरक के प्रथम इन्द्रक बिल का विस्तार (१४७५०००) योजन, दूसरे का(१३८३३३३) योजन, तीसरे का १२६१६६६.) योजन चौथे का । १२०००००) योजन, पौष का (११०८३३३३) योजन, छठे का (१०६६६६१) योजन, सातवें का (६२५०००) योजन-यह चौथे नरक के इन्द्रक बिलों का विस्तार है। पांचवें नरक के प्रथम इन्द्रक बिल का विस्तार(८३३३३३१) योजन, दूसरे का (७४१६६६) योजन, तीसरे का (६५००००) योजन, चौथे का पांच लाख मठावन हजार तीन सौ तेतीस और एक योजन के तीन भाग में से एक भाग अधिक योजन, पांचवे का (४६६६६६) योजन,-यह पांचवे नरक के इन्द्रक बिलों का विस्तार है। छठे नरक के प्रथम इन्द्रक बिल का विस्तार तीन लाख पिचहत्तर योजन, दूसरे का (२८३३३३३)योजन, तीसरे का (१६१६६६)योजन- यह एक के इन्द्रक बिलों का विस्तार है। सातवें नरक का इन्द्रक बिल (१०००००) योजग विस्तार का है। सनाप्तोऽयं इन्द्रक बिल विस्तारः ।
SR No.090292
Book TitleNamokar Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeshbhushan Aacharya
PublisherGajendra Publication Delhi
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size14 MB
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