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________________ मूलागधना आश्वास: RSS पत्रंभूतो निवाश्यतीत्येतह-याचशे अंगसुदे य बहुविधे णो अंगसुदे य बहुविधविभत्ते ॥ रदणकरंडयभृदो खुण्णो अणिओगकरणम्मि ॥ ४९९ । बहुप्रकारपूचांगथुतरन्नकरंडकः ।। . सर्वानुयोगनिष्णातो वक्ता को महामतिः ॥ ५१६ ।। विजयोन्या-अंगदे य श्रुतं पुरुषः मुखचरणाधंगस्थानपत्याएंगशनगोच्यते । आचाराविकं द्वादशषिध तस्मिॉगश्रुते। बहुबिहे नानाप्रकार। आचार, सूत्रकृतं; स्थानं, समधाम व्याण्याप्रमपयंग इत्यादिभेदेन । यो अंगसुदे य. झगबाहो डा । बहुविघधिमत्ते सामायिक, बतुशितिस्तवो, बंदना, मंतिक्रमागं, वैनयिकं. कृतिकर्म, दशवैकालिकं, उसरा ध्ययन, कल्पग्यपहारः, कल्पं, महाकल्प, पुंडरीक, महापुंडरीकं इत्यादिना विचित्रभेदेन विभक्तो। यणकरंयभूदो रत्नकएण्डकभूतः खुराणो अणियोगकरणम्मि यदारप्रस्तुतं वस्तु तत्रतत्र सदाविकायनुयोगयोजनार्या कुशलः । अनेन शानमाहास्य सूनितं ! ....... ... ! ..इत्यंभूत: सूरिरव निवापयत्तीत्युत्तर नाह.- .... ...... . .. : - मूलारा-मंगसुदे अंगप्रविष्टप्रवचने । बहुविधे आचार सूत्रकृतमित्याद्विद्वारशविधे । णो. अंगमुद्दे अंगवा. एते । बहुविधविभत्ते सामायिक, चतुर्विशतिस्तव इत्यादिना चतुर्दशप्रकारविभक्ते। रयणकरंज्यभूदो रत्नकरस्कसशः। श्रुतरत्नानां रक्षलोपायवाद । खुण्णो सुन्तलः । अणियोगकरणम्मि यचद्वस्तु प्रस्तुतं तत्र तत्र सदादिकानुयोगयोजनायां । एसेन ज्ञानमाहात्म्यः सूरेःसूचितं ।। . . आमेकी गाणमें कहे हुए गुणांसे युक्त आचार्य क्षपकका मन प्रसन्न कर सकते हैं यह दिखाते हैं.... अर्थ-श्रुतंज्ञान पुरुषस्थानीय समझ करके आचारादिकों को मुख, पांव बगैरह अवयवों के समान समझने से श्रुतज्ञान में अंगकी कल्पना घटित हो जाती है. भुतज्ञानके आचारादिक बारा भेद है. जैसे आचार, सूत्रकृत, स्थान, समचाय व्याख्याप्रज्ञप्ति ज्ञातृधर्मकथा, उपासकाध्ययन, अंतकद्दश, अनुत्तरोपपादिक दश, प्रश्नव्याकरण, विषाक सूत्र, दृष्टिवाद. अंगवाद्य श्रुतमानके भी बहुत भेद है. जैसे सामायिक, चतुर्विशतिस्तव, वंदना. प्रतिक्रमण, वैनयिक कृतिकर्म, दशवैकालिक, उत्तराध्ययन, कल्पव्यवहार, कल्प, महाकल्प, पुंडरीक, महापुंडरीक, इत्यादि अनेक भेद हैं. जैसे करंडमें रत्नोंको रखते हैं वैसे ये आचार्य इन आगमरस्नों को अपने हृदय में धारण करते हैं इसलिय ये रत्नोंके कृतिकर्म, हारअंगबाह्य तमाया, उपासकाध्ययन, नक आचारादिक व E ?
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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