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________________ । मुलासचना आश्वास मासिय दुय तिय चट पंचमास छम्मास सत्तमासीय ॥ तिण्णे व सत्तराई दाईदिय राइपद्धिमाओ ।। गाथार्थः कभ्यते आत्मानं टिस्खन धृतिक्रायबलवान , महासत्वो, जितपरीपहः, उत्तासंहननः कोण पूरितधर्मशुक्लमानो । मुनिरात्माधिष्ठितदेशोत्कृष्टयुलमाहारस्य प्र गृण्वाति । ईशमाहार यदि माताध्यंतरे हो तो भोजनं करोमि नान्य. थेति । तस्य मासस्यांतिमेदिने प्रतिमायोगमास्ते । सा एका भिक्षुमतिमा । एवं पूः सदाराच्छत्तगुनोत्कृष्ठदुर्लभान्यान्याभ्य वहारस्यावग्रह, गुण्डाति । यावद्भित्रिचतुःपंचपट सप्रनामाः सर्वत्रांतिनदिनापतिमायोगाः । एताः सप्त मिशुपतिमाः । पुनः पूर्वाहाराच्छतगुणोत्कृष्टम्य दुर्लभस्य अन्याम्पाहारस्य सप्प सप दिनानि वारत्रयं व्रतं गृहाति । एतास्तिस्रो निक्षुप्रतिनाः । नतो गत्रिदिन प्रतिमायोगेन स्थित्वा पश्चाद्रात्रिरनिमायोग माने । एते द्वे गिनुपतिमे । पूर्वमवधिननःपर्यय शा. उमाभूदिये वापशा प्राप्नोति । एवं द्वादशामिनु निभायोगेन बिया पर पादाविनिमयोगमा । भते भिक्षुप्रतिमे भवतः ॥ अर्थ-यदि आयुष्य हो और देहमें सामथ्य हो तो जिन विचित्र भिक्षुप्रतिमाओंका शास्त्र में उल्लेख हैं, उनका भी यह क्षपक स्वीकार करके यथाशक्ति देह को क्षीण करता है. उन प्रतिमाओंसे इस धाकको पीडा नहीं होती है. जिसने अपने शक्तिका विचार न कर इन प्रतिमाओंको धारण किया है. उसक योगका भंग होता है और उसके मनमें महासंक्लेश परिणाम उत्पन होते है. अपने शरीरकी सल्लेखना करनेवाला, धैर्य रूपी बल और शरीरबल धारण करनेवाला, महा. सत्त्वसंपन्न, परीपहोंको जीतनेवाला, उचम संहननका घारक, क्रमो धर्मध्यान और शुक्लध्यानको पूर्ण करनेवाला मुनि स्वयं ठहरे हुए देशमें उत्कृष्ट और दुर्लभ आहारका प्रत ग्रहण करता है. अर्थात उत्कृट और दुर्लभ आहार यदि एक महिने के अंदर मेरेको मिलेगा तो में ग्रहण करूंगा अन्यथा नहीं रती प्रतिज्ञा करके उस महिनेके अंतिम दिनमें वह प्रतिमा योग धारण करता है. यह एक भिक्षु प्रतिमा है. पूर्वोक्त आहारसे शतगुणित उत्कृष्ट और दुर्लभ ऐसे भिन्न भिन्न बाहारका वा वाक्षपक ग्रहण करता है. CHI यह व्रत वह क्षपक दो, तीन, चार पांच, छह और सात मास तक ग्राग करता इ. प्रत्येक माहेनेके अन्तिम दिनमें me
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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