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मूलाराधना ४१६
इसे उठाकर दूसरे स्थान में बोना, जलाना इत्यादिकोंसे जो दुःख भोगने पडे उनका वर्णन करना मेरी शक्ती बाहर हैं.
जब मैंने कुथु, चींटी वगैरे प्राणिओंमें हींद्रिय, श्रींद्रिय चारक होकर जन्मग्रहण किया तब वेगसे जानेवाले रथके पहियोंके नीचे दबकर प्राणविसर्जन किये है.
गधा, घोडा वगैरे प्राणिओंके कठिण खुरोंके ताडनसे पानीके प्रवाहके वेगसे, जंगलके अशीसे, वृक्ष पाषाणादिक पदार्थ अंगपर गिरने से, मनुष्यों के पैरोसे कुचल जानेसे, बलवान प्राणिओंका मक्ष्य होनेसे मेरेको दीर्घकाल तक दुःख भोगने पड़े है,
तथा गधा, उंट, बैल, वगैरे पंचेंद्रिय प्राणिओंका जन्म जब धारण किया था तब मनुष्योंने मेरे ऊपर अधिक बोझा लादकर और स्वयं चढ़कर बहुत खेदित किया था. दोरी बांधना, अधिक कर्कश चाबूक, लाठी मुशल, इत्यादिकांसे आघात करना, आहार पानी न देना, शति, उष्ण, वायु इत्यादिककी बाधा होना इत्यादि कोंके द्वारा मेरको बहुत क्लेश हुआथा. कान छेदना, जलाना, नाक में नथनी डालना, विदारण करना, कुल्हाड़ी are शस्त्रोंसे तक्ष्णि तरवार प्रहार करना इत्यादिकोसें मनुष्योंने मेरेको अत्यंत दुख दियाथा. जिससे पांव गये है, ऋश होनेसे अथवा रोगपीडित होनेसे जो गिरपड़ा है, इतस्ततः पीडा सहन न होनेसे जो asaiने लगा है. अत्यंत क्रूर व्याम, कुने, स्याल वगैरह प्राणिओंका जो भक्ष्य हो रहा है. कौवे गीध बगुला इत्यादि पक्षी जिसकी नोच नोचकर खा रहे है. जिसको आंखे भयके मारे चल ही रही है, ऐसे समय में कोई भी मेरा रक्षण करनेवाला न था.
अधिक बोझा लादनेसे मेरे पटपर जखम हो कर वह क्रिमिअसे भर गईथी उस समय कौवे वगैरे पक्षी आकर जमका मांस नोचकर खाते थे वह बडाही भीषण दुःखदायक प्रसंग था. कुछ पापका उपशम होनेसे मनुष्य होकर मैं जन्मा परंतु इंद्रियोंकी न्यूनता, दारिद्र्य, अमाध्य रोग इत्यादिकीसे में बहुत दुःखी था. प्रिय पदार्थ न मिलना, अप्रिय शत्रु, विप, कंटकादिकों का संयोग होना, दूसरोंकी नोकरी करना, शत्रुमे पराभव होना, इत्यादिक दुःखोंसे मैं बहुत ही व्याकुल हो उठता था, धन कमानेकी इच्छासे दुःखदायक कर्मास्रवके कारण ऐसे असि मषि वगैरह पदकमोंमें दिन रात प्रयत्न करता था तो भी नानाप्रकारकी विपत्ति आती ही थी.
आश्वासः ३
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