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________________ मूलाराधना मावासः २८९ अध्ययन करना, आना जरना इत्यादिकार्य मैं नहीं करूंगा ऐसा संकल्प करना कालप्रत्याख्यान है. भावप्रत्याख्यान-भाव-अशुभपरिणाम उनका मैं त्याग करूंगा ऐसा संकल्प करना. इसके दो भेद है. मूलगुण प्रत्याख्यान और उत्तर गुणप्रत्याव्यात, शंका-मूलगुण इस शब्दका अर्थ व्रत ऐसा होता है. उनका त्याग भविष्यकालमें मैं करूंगा ऐसा संकल्प संवरको चाहनेवाले यदि करें तो कर्मसंवर होगा ही नहीं. संवरको चाहनेवालाको व्रतका अवश्य पालन करना चाहिये अतः मूलगुणप्रत्याख्यान होता नहीं है.. उत्तर - उत्तरगुणोंको कारण होनेसे व्रतोंमें मूलगुण यह नाम प्रसिद्ध है. मूलगुणरूप जो प्रत्याख्यान यह मूलगुणप्रत्याख्यान है. अर्थात यहां पष्ठीतत्पुपुरुष समास नहीं है. कर्मधारय समास है. अतः उपर्युक्त शंकाका परिहार हुआ. बताके अनंतर जो पाले जाते है ऐसे अनशनादि तपाको उत्तरगुण कहते हैं. उत्तरगुणप्रत्याख्यान इस शब्द भी कर्मधारय समास ही है.' उत्तरगुणश्च सः प्रत्याख्यानं च तदिति उत्तरगुणप्रत्याख्यानं ' उत्तरगणप्रत्याख्यानका ऊपर कहा हुआ विग्रह समझना चाहिंय. मुनियाको मूलगुणप्रत्याख्यान आमरण रहता है. संयतामंयत अर्थात पंचमगुणस्थानवी आवक उसके अणुव्रताको मूलगुण कहते हैं. गृहस्थ मूलगुणप्रत्याख्यान अल्पकारिक और जीवितावधिक एसा दोन प्रकारका कर सकते हैं. पक्ष, छह महिने इत्यादिरूपसे भविध्यत्कालकी मटा करके उसमें स्थल हिंसा, असत्य, चोरी, मैथुनसेवन, और परिग्रह ऐसे पंचपातक में नहीं करूंगा ऐसा कल्प करना यह अल्पकालिक प्रत्याख्यान है, मैं आमरण स्थूल हिंसादिपापाको नहीं करूंगा ऐसा संकल्प कर उनका त्याग करना यह जीवितावधिकप्रत्याख्यान है. उत्तरगुणप्रत्याख्यान तो मुनि और गृहस्थ जीवितावधि और अल्पावधि भी कर सकते हैं. जिसने संयम किया है. उसको सामायिकादिक, और अनशनादिक भी रहते हैं अतः सामायिकादिकोंको और तपको पना है. भविष्यत्कालको विषय करके अशनादिकोका त्याग किया जाता है. अतः उत्तरगुणरूप यह प्रत्याख्यान है ऐसा माना जाता है. सम्यक्त्व यदि होगा तभी यह दो तरहका प्रत्याख्यान मुनि और गृहस्थाको माना जाता है. यदि सम्यग्दर्शनके साथ यह प्रत्याख्यान न होगा अकेला ही होगा तो वह प्रत्याख्यान इस नामको नहीं पाता है.
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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