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________________ मूलारापना अपचास: - सम्यग्दर्शन वर्णजनन सम्यग्दर्शन मिध्यात्वपटलको नष्ट करके सम्यग्ज्ञानमें निर्मलपना लाता है. नरक निर्यचादि अशुभं गति में जानेसे रोकता है. यह मिथ्यादर्शनका शत्रु है ऐसा वर्णन करना यह सम्यग्दर्शन वर्णजनन है. गुणवान ऐसे पंच परमेष्टीऑमें जो दोष नहीं है वे दोष निकालना उसको अवर्णवाद कहते हैं. ऐसे अवर्णवादका निराकरण करनेसे दर्शनविनय होता है, अब अवर्णवादका वर्णन करते वीतरागता और सर्वज्ञपना अर्हन्तमें नहीं है, जगतमें संपूर्ण प्राणी रागद्वेष और अज्ञानसे घिरे हुए ही देखे जाते हैं ऐसा कहना यह अर्हन्का अवर्णवाद है. वी, वस, इत्र वगैरे मुगधी पदार्थ, पुष्पमाला और वखालंकार येही सुखके कारण हैं. इन पदार्थोंका अभाव होने सिद्धाको मुख नहीं है. मुग्न इंद्रियोंसे प्राप्त होना है. परंतु गिद्धोंको स्पादि इन्द्रियां नहीं है अतः वे सुखी नहीं है. ऐसा कहना यह सिदावर्णवाद है. जैसे छोटी छोटी कन्यायें गुड्डी यह मेरा बालक है मेसा व्यवहार करती हैं. परंतु जैसे साक्षात् बालक गोदमें लेनेसे उनको सुख मिलेगा वैसा गुहीसे नहीं मिलता है वैसहि ये अहन्त है ये सिद्ध परमेष्टि हैं ऐसी अचेतन पदार्थमें स्थापना करके उपासना की तो भी समवसरणमें साक्षात विराजमान अर्हन्तकी पूजा करनेसे जो फल मिलता है वह नहीं मिलेगा, मूर्ति में अईद सिद्ध वगैरे पूज्य पुरुष पास नहीं करते हैं. क्योंकि उनके गुण मूर्ती में दीखते नहीं हैं. ऐसा कहना चैत्यावर्णवाद है. श्रुतावर्णवाद-जैसे नदीके तीरपर दस दाडिम गिरे हैं हे लडको : भागो ऐसा कहनेवाले पुरुषका वाक्य जैसा असत्य है वैसे आगम भी पुरुषकृत होनेसे असत्य है अप्रमाण है. पुरुषको अतींद्रिय वस्तुओंका ज्ञान होता नहीं है. और अज्ञात वस्तुका यदि वह उपदेश करेगा तो उसके उपदेशमें प्रमाणता कैसी आवेगी ? उसके उपदेशसे लोगोंको जो ज्ञान उत्पन होगा वह भी प्रमाण कैसा माना जायगा ? अतः आगमज्ञान प्रमाण नहीं है ऐसा कहना यह श्रुतावर्णवाद है. धर्मायणवाद-धर्म वुर्गतिस प्राणीको बचाता है, और स्वादिफल देता है यह कहना ही है. ये सब बातें परोक्ष हैं. प्रत्यक्ष नहीं है. अतः इनके ऊपर विश्वास रखना कैसा योग्य होगा जिसके कारण मौजूद रहते हैं वह १७०
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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