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________________ लाराधना आश्वासा चिद्विशुद्धिरिति सर्वे पुरुषाः सर्वदा सगादिदोषदूषिताः अस एवातीन्द्रिय वन्त न कस्विजानाति । भगा लपदिसणे न 10 ५चः सत्यं, सद्भूतं च झान मिथ्यैयेत्यादिः श्रुतस्य ।। शीतोष्णस्पर्शवत्परस्पर विरुद्धानामस्तित्वादिधर्माणामेकत्र वस्तुन्यसंभवात् चिरुद्वाभिमतधर्माधिकरणकवस्तुझापनं न सम्यक् । नापि तन्छूद्धानं मृगतृष्णोदक श्रद्धानवन्निध्याज्ञानानुगत्यान्नापि चरण रज्जो सर्पप्रत्ययात्तत्परिहारवत् अस. त्यज्ञानपूर्वक इत्यादिः प्रवचनस्य || यदा तु प्रवचनशब्देन द्रव्यश्रुतमुच्यते । तदेदं जैनानां शास्त्रं शब्दशास्त्रविरोधि। म्लेच्छभाषादिषड, लोकशास्त्राप्रसिद्भूत्वाविवक्षितार्थप्रतिपादनासमर्थमित्यादिः ॥ दर्शनावर्णवादस्तु रत्नत्रयावर्णवा दान्तर्गत एव । पृथग्दर्शन स्योपादानं तु विशिष्टतइत्यादिगोचरत्वमचनार्थे । अर्हदायवर्णवादपरिहारस्तु यथाशास्त्रं प्रति पत्तव्यः ।। आसादना अवज्ञा ।। अहंदादिगु दशम्बपि मायादयः पंचापि सम्यक्त्वम्य यिायो माहात्म्यायकरमान नि गाथाद्वयसंग्रहार्थः ।। हिंदी अर्थ-अहंदादिगुणोंमें प्रेम करना भात है. पूजाक द्रव्यपूजा और भावपूजा एस दो भेद है. अहंदादिकोंके उद्देश्यसे गंध, पुष्प, धूप, अक्षतादिक ममर्पण करना यह द्रव्यपूजा है. तथा ऊट करके खडे होजाना: तीन प्रदक्षिणा देना, नमस्कार करना वगरे शरीरक्रिया करना, वचनोंसे अहेदादिकोंके गुणोंका स्तवन करना यह भी द्रच्यपूजा है, मनसे उनके गुणोंको चितन करना यह भावपूजा है, वर्णजनन-वर्ण शब्दके अनेक अर्थ हैं. वर्ण-शुक्लादिक वर्ण, जैसे 'शुक्लवर्णमानय । अर्थात् सफेत रंगको लाओ. वर्ण शब्दका अर्थ अक्षर ऐसा भी होता है 'सिद्धो वर्णसमाम्नाथः । वणोंका समुदाय अनादि कॉलसे है. वर्ण शब्दका अर्थ ब्रामणादिक ऐसा भी है. यथा ' अत्रैव वर्णानामधिकारः । इस कार्यमें ही ब्रामणादिक चोंका अधिकार है. यहांपर, वर्ण शब्दका 'यश' ऐसा अर्थ माना जाता है. असे 'वर्णार्थी ददाति यशकी काम नासे देता है. प्रस्तुत वजनन ' इस शब्दमें वर्ण शदका अर्थ या ऐसा समझना चाहिये...... _ अईदादि परमेष्ठिओंका विद्वानोंकी 'सभामें पेशोगान करना, उनका महत्त्वं चताना इसको वर्णजनन । कहते हैं, RA फपिलं, बुद्ध, ईश्वरादिक सर्वज्ञ नहीं थे, उनके वचन प्रत्यक्ष अनुमानादिकोंसे विरुद्ध-याधित होते हैं ऐसा सिद्ध करके अईदादिकोंके बच्चन युक्ति और आगमसे अविरुद्ध है.ऐसा सिद्ध करना, इस गैंतीसे उनकी महत्ता
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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