SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1760
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ PC HTTARE सूत्राधना आश्वासा १७१९ पूर्वाफाल्गुनीइस्तचित्रानुराधामूलपूर्वाषाढामवणघनिष्ठापूर्वभाद्रपदारेवतीना मध्ये एफस्मिन्नक्षत्रे तदंशे वा मृते एकोऽन्योऽपि मुनिम्रियते । दिवाखेत्ते उत्कृष्ठे पंचचत्वारिंशन्मुहूर्ति के उत्तर फल्गुन्युत्तरापादोत्तरभाद्रापुनर्वसुरोहिणीविशाखानां मध्ये एकमिमा गांको पाप गणेशानन्यायनि गुनी प्रियेगे । उक्त - शातिर्भवति सर्वेषागृक्षऽरूपे अपके मृते ।। मध्यमे मृत्युरेकस्य जायते महति द्वयोः ।। अर्थ-अप नक्षत्र में यदि क्षपक्रका मरण होगा तो वह सबको सुखदायक होगा. मध्यनक्षत्र में मरण होनस और एक मुनिका मरण होता है. महानक्षत्रपर मरण होने से दो मुनिओंका मरण होता है. जो नक्षत्र पंधरा पुहूर्तक रहत उनको जवन्य मुहून कहत है. शनाभपक्, भरणी. आा. स्वाति, आश्लेषा, इन छह नक्षत्रोमसे किसी एक नक्षत्रपर अथवा उसके अंशपर यदि क्षपकका मरण होगा तो सर्व संघका क्षेम होता है. तीस मुहूर्त के नक्षत्राको मध्यम नक्षत्र कहते हैं. अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिर, पुष्य, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, अनुराधा ,पूर्वी, पूर्वाषाढा, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वभाद्रपदा, और रेवती इन पंधरा नक्षत्रोंपर अथवा उसके अंशोपर क्षपकका मरण होनेसे और एक मुनिका मरण होता है. उत्कृष्ट पंचेचालीस मुहूर्तके नक्षत्रोंको उत्कृष्ट नक्षत्र कहते हैं. उत्तर फाल्गुनी, उत्तराषाढा, उत्तरभाद्रपदा, पुनर्वसु, रोहिणी इन छह मुहूर्तमेस किसी मुहूर्तपर अथवा उसके अंशपर क्षपकका मरण होनेसे और दो मुनिओंका मरण होता है. 1990RRICExamATA गणरक्वत्थं तह्मा तणमयपडिबिंबयं खु कादूण ॥ एवं तु ममे खेत्ते दिवळुखेत्ते दुवे देज्ज ॥ १९९० ॥ महन्मज्यमनक्षत्रे मृते शांतिषिधीयते ॥ यत्नती गणरक्षार्थ जिनार्याकरणादिभिः ॥ २०६५ ॥ षिजयोदया-गणरक्खार्थ गणरक्षणार्थ तस्मात्तृणमयं प्रतिषियकं कृत्वा मध्यमनक्षन्ने पकं दद्यात् । उत्तमनक्षत्रे प्रतिबियद्वयं ॥ मध्यमोकृष्टगक्षत्रक्षपकमरणोत्पाते संघशांतिविथानाभिधानार्थ गाथात्रयमाह - मूलारा--तम्हा एफद्विमरणाखेनोः । दुबे द्वे तृणमयतिविषके । देज दद्यसंप्रशासर्थी । १७४९
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy