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________________ लाराधना आश्वास अर्थ---जिसके शरीर मेंसे रक्तको धारा बह रही है, शरीरका चमडा नीचे लटक रहा है, जिसका पेट और मस्तक फूट गया है, जिसका हृदय तप्त हुआ है. अखि फूट गई है, तथा सब शरीर चूर्ण हुआ है ऐसा तू नरकमें अनेक बार दुःख भोगता था उसका चिंतन कर. १०४३ जं चडयंडतकरचरणंगो पत्तो सि वेदणं तिव्वं ॥ णिरए अणंतखुत्तो त अणुचिंतेहि णिस्सेसं ॥१५८० ।। यत्स्फटल्लोचनो दग्धो ज्वलिते वज्रपावके । यच्छिन्नहस्तपादादिश्चिमानास्थिसंचयः ॥ १६३९ ॥ शोषणे पेषणे कर्षणे धर्षणे लोटने मोरन कहने पाटने ।। त्रासने तारणे मईन चूणेने छदने भदने सादने यच्छ्रितः ॥ १६४०॥ दुःकृतकर्मविपाकवशोत्थं कालमपारमनतमसह्यम् ।। सोदमिदं हदये कुरु सर्व कातरतां विजहीहि सुबुद्धे ! ॥ १६४१ । इति श्वभ्रगतिः ॥ बिजयोदया-जयत् । चउत करणरणंगो पमानकरचरणांगः । पमो सि वेधणं तिब्ध प्राप्तोऽसि चननां तीवां । णिरए नरके । अणंतपारं अनंतवार तस् अणुचितेहि अनुक्रमेण चितय । णिस्संस निरवशेष || नरकगतिदु:ख वर्णितम् ॥ मूलरा--चयत प्रकंपमानं । अगुचितहि अनुक्रमेण चिंतय त्वं ॥ इति नरकगतिदुःखानुचितनं ॥ अर्थ-हे क्षपक. नरकमें जिसके हाथ पाच बेदनासे कंप रहे हैं ऐसे तूने अनंत वार जो दुःख भोगा है उसका अनुक्रमसे पूर्वस्मरण कर. नरक गति के दुःखका वर्णन समाप्त हुआ. कालमपारमा यच्छितः वाहवये तिरियगदि अणुपन्सो भीममहावेदणाउलमपारं ॥ जम्मणमरणरहर्ट अणंतखुचो परिगदो जं॥ १५८१ ।। १४४३
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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