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पलाराधना
आश्वास
अर्थ- हे भगवन् ! आपने जो सम्यग्ज्ञानका उपदेश मेरेको दिया है.उसे मैं मस्तक नम्र कर ग्रहण करता | ई. आपने जो जैसा कहा है येसी ही मैं प्रवृत्ति करूंगा.
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... . अप्पा णिच्छदि जहा परमा तुठी य हवदि जह तुज्झ ॥
जह तुझ य संघस्स य सफलो हु परिस्समो होइ ॥ १४८२ ।। यथा मे निस्तरत्यात्मा तुष्टिरस्ति यथा तव ।।
संघस्थ सर्वस्य पचा नवास्ति सफलः श्रमः ।। १५४२ ।। विजयोदया–अध्याणिन्छर दि जहा अहं यथा निस्तीणों भवामि. संसारात् । यथा युष्मार्क एम्मा तुष्टिर्भवति । भयतां संघस्य चास्मानुग्रहे प्रवृत्तानां श्रमस्य फलं भवति ।।
मूलारा-अप्पा णित्थरदि अयं संसारार्णवानिस्तीर्णी भवामीयर्थः । तुभ युष्माकम् ॥
अर्थ--इस संसारसे मैं जिससे उत्तीर्ण होउगा, जिससे आपको संतोष उत्पन्न होगा, भरे उपर अनुग्रह करने में उद्युक्त हुए आपका और संघका परिश्रम जिससे सफल होगा ऐसे उपायका मैं अबलम्ब करूंगा.
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जह अप्पणो गणस्य य संघस्स य बिस्सुदा हवधि कित्ती॥ संघरस पसायेण य तहहं आराहइस्साभि ।। १९८३ ॥ यधात्मनो गणस्यापि कीर्तिरस्ति प्रथीयसी ॥
अहमाराधयिष्यामि तथा संघप्रसादतः ॥ १५४३ ॥ विजयोदया-जद्द अप्पणो गणस्स यथा मम गणस्य, संघस्य च कीर्तिर्विश्रुता भवति तथाहमाराधयिष्यामि संघस्य प्रसावन । मूलारा--- अपणो ममेत्यर्थः ।।
:: अर्थ-मेरी गणकी, और संघकी जिस उपायसे कीर्ति प्रसिद्ध होगी, गणकी कृपासे मैं उस उपायका आश्रय कर रत्नत्रयाराधन करूंगा.
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