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मुलामधन
आश्वासः
एवं सरीरसंपदध्वत्वं याम्याय दंपन्योः सयोगावन्वं व्याचष्टेमलारा-मरदि इनि-मगद सयं नियने म्वयं पुमान।
अर्थ--पति, पत्नीक प्रथम आयु नष्ट होनेसे मरना है अथवा उसकी स्त्री मर जाती है. अथवा पति जीता रहतहि बलवान लोग स्वीको हरण कर ले जाते हैं.
सा या हवे विरत्ता महिला अण्णेण सह पलाएज्ज ॥ अपलायती व तगी करिज्ज से वेमणस्साणि || १०५८ ॥ विरज्य स्वयं तस्याः सा वा अस्य धिरज्यते ।
परण वा समायाति तिष्ठती वा विरुध्यते ॥ १०९० ।। विभयोदया साया हो घिरता सा भवेद्विरका पुरुष तथापि तयोः संगतिः। महिला अण्णेण वा सह 18 पलायज सा विरक्ता युवतिरम्येन पा सह पलायनं कुर्यात् । अपलायन्ती अपलाय माना था ।लगी सा। करेज से घमणसाणि कुर्यात्तच्चेतोदुःखामि ।
मूलारा-सा वा इनि-पलायज गच्छेत् । तगी सा । चेमणरसाणि चितदुक्खानि ।। .
अर्थ-अथवा वह स्त्री अपने पतीसे असंतुष्ट होकर अन्य पुरुषके साथ भाग जाया. अथवा विरक्त होकर वे दोनो एक साथ रहेंगे तथापि वह स्त्री पतिके मन को दुःख देती रहेगी. अर्थात प्रतिकूल विचार, आचार और भाषण में बह पतिको दु:ख देनेवाली होगी.
MANTRA
शरीरम्याधयनामाच
रूबाणि कटकम्मादियाणि चिटृति सार।तस्स ॥ धणिदं पि साग्वन्तस्म ठादि ण चिरं सरीरमिदं ॥१०५९।। चिरं तिष्ठति संस्कारे काष्ट ग्रावादिरूपकम् ॥ कलेवर मनुष्याणां म संस्कारे महत्यापि ॥ १०२१ ॥
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