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________________ मूलाराधना आवास: साकेताधिपतिर्देवरतिः प्रच्याव्य राज्यतः॥ देव्या मदीनहदे क्षिप्तो रक्तया पंगुरक्तया ।। ५६६ ।। विजयोदया-साफेवपुराधिवदी साकेतपुरस्य स्वामी । देवरदी देवरतिसंशितः । रजसोक्सप भट्टो राज्येन सौस्पेन च नितरां भ्रष्टः | पंगुलहेदं पंगुलनिमित्त गंधर्चप्रवीणेन पंगुना सह जीविनुमभिलपन्त्या । यो विक्षिप्तः । गदीप नद्या । रत्ताप देवीप रक्तानामधेयया देव्या ।। मूला:--साद अगेध्या । रनिक्षः : रहे गांधर्वप्राणन पंगुना सह जीवितुमिच्छन्न्या । बूढो प्रभिनः । रनाए रसासंज्ञया ।। अर्थ-साकेत नगरका देवरनी नामक राजा था. उसको रत्ता नामकी अत्यंत प्रिय रानी थी. रानीक स्नेहसे उसने राज्यका और सुखकाभी त्याग कर दिया. तथापि गानविद्या प्रचीपा ऐसे एक पंगुके ऊपर वह प्रेम करने लगी. उसके साथ रहनकी इच्छासे उसने अपने पतिको नदीमें ढकेल दिया. कर नदीमें ढकेल वाण ऐसे एक पनी थी. रानीक ईसालुयाए गोववदीए गामकूडधूदिया सीसं । छिण्णं पहदो तध भल्लएण पासम्मि सीहवलो ।। ९५० ।। गोपयत्या ऋधा छित्वा ग्रामकूटसुप्ताशिरः ।। राजा सिंहबलः कुक्षी शक्त्येापरया हतः ॥९६७ ॥ विजयोदया-ईसालुयाप इयत्या । गोबयदीए गोपवतीनामधेयया । गामफूटधूदिया प्रामकूटस्य दुहितुः । सील छिपणे शिरदिन्नं । पदो प्रहतस्तथा । भलएण शफ्त्या । पासमिम पार्श्वदेशे सीगलो सिंहयलसंशितः।। मूलारा--ईसालुगाए, ईययस्या । गोवत्रदीप गोपवतसिंज्ञया । गामकुडधूदियासोर प्रामकूटदुहितुः शीर्ष । भल्लएण शक्त्वा । कुंतविशेषेणेसपरः । पासम्मि पार्श्वदेशे । सीहवलो सिंबलो नाम ।। अर्थ-सिंहबल नामक मनुष्य को गोपचती नामक दुष्ट इभ्यालु ली थी. उसने अपने सौनका मस्तक तोडकर अपने पतिकोभी भालेसे मार डाला,
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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