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इधर''अधर से उत्तरी बालटी में पानी
और पानी में बालटी पूर्ण रूप से दोग अवगाहित होते हैं, मछली उसमें प्रवेश पा जाती है 'धम्म सरणं पव्यज्जामि' इस मन्त्र को भावित करती हुई आस्था उसकी और आश्वस्त होती जा रही है, आत्मा उसकी और स्वस्थ होती जा रही है। इस धुति की काष्टा को देख कर इस मति की निष्ठा को देख कर सारी-की-सारी मछलियाँ विस्मित हो आई
और कुछ क्षणों के लिए उनकी भीतियाँ विस्मृत हो आईं।
सत्कार्य करने का एक ने मन किया ""दृढ़ प्रण किया
और
शेष सबने उसका अनुमोदन किया।
मूक माटी :: 75