________________
प्रत्येक व्यवधान का सावधान हो कर
और, सहेलों के बिना अकेली ही चलती मछली सामयिक सूक्तियाँ छोड़ती हुई :
सामना करना
नूतन अवधान को पाना है, या यूँ कहूँ इसे
अन्तिम समाधान को पाना है।
I
74 मूक पाटी
गुणों के साथ अत्यन्त आवश्यक है
दोषों का बोध होना भी,
किन्तु
दोषों से द्वेष रखना
दोषों का विकसन है
और
गुणों का विनशन है;
काँटों से द्वेष रख कर
फूल की गन्ध - मकरन्द से
वंचित रहना
अज्ञता ही मानी है,
और
काँटों से अपना बचाव कर
सुरभि - सौरभ का सेवन करना
विज्ञता की निशानी है
सो" विरलों में ही मिलती है !
i