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यहीं से घटित विजय हुआ धन्य!
अब ! प्रासंगिक कार्य आगे बढ़ता है, अंग-अंग संस्कारित थे सो. संयम की शिक्षा का संस्कार प्राप्त था जिन्हें वे दोनों हाथ शिल्पी के संयत हो उठे तुरन्त ! तभी वह शिल्पी रस्सी से बाँध. बालटी को धीमी गति से नीचे उतारता है कूप में जिससे कि मछली आदिक नाना जलचर जीवों का घात होना टल सके और अपने आत्म-तत्त्व को यहाँ और वहाँ अब और तब कर्म, कर्म-फल सोना छल सके !
मूक माटो :: 59