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इसी बीच 'सेवक को सेवा दे कर उपकृत करो, स्वामिन्!"
दातों का दल शिल्पी को कह उठा
और "यह समयोचित है स्वामिन् ! हमने यही नीति सुनी है
बात का प्रभाव जव बल-हीन होता है हाथ का प्रयोग तब कार्य करता है।
और हाथ का प्रयोग जब बल-हीन होता है हथियार का प्रयोग तब आर्य करता है। इसलिए निःशंक हो कर दे दो रस्सी इसे स्वामिन् !"
और रस्सी प्रेषित होती दन्त पक्ति-तक
तुरन्त शूल का दाँत सब दाँतों से कह उठा कि "हे भात ! इस गाँठ में
li :: मूक मादी